सावन में महादेव की आराधना का विशेष फल, श्रद्धा से खुलते हैं भाग्य के द्वार

सोनभद्र/विंध्य क्षेत्र, 15 जुलाई:
सावन माह में चारों ओर शिवभक्ति की गूंज सुनाई दे रही है। हर-हर महादेव के जयघोष और मंदिरों में घंटियों की अनुगूंज के बीच यह माह शिव उपासना का परम अवसर बन गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन मास भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है और इस माह में की गई भक्ति, व्रत एवं पूजन से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
✦ शिव ही हैं सृष्टि, विनाश और कल्याण के अधिपति
शास्त्रों में महादेव को “त्रिदेवों में श्रेष्ठ”, “अकाल मृत्यु नाशक”, और “भोले भंडारी” के रूप में वर्णित किया गया है। वे न तो जन्म लेते हैं, न ही मरणशील हैं — यही कारण है कि वे सनातन धर्म के सबसे अधिक पूज्य देवता हैं। सावन में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव चालीसा का पाठ करने से कष्ट, रोग, शोक और अकाल मृत्यु जैसे दोष दूर हो जाते हैं।
✦ श्रद्धालुओं में अद्भुत भक्ति और उत्साह
सावन के हर सोमवार को शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। लोग गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र अर्पित कर भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं।
कांवड़ यात्रा भी महादेव की आराधना का एक महत्वपूर्ण भाग बन चुकी है, जहां श्रद्धालु नंगे पांव चलकर जल लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
✦ सावन में क्यों विशेष होते हैं सोमवार?
पौराणिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने सावन माह के सोमवार व्रत रखकर ही भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इस कारण यह दिन शिव-शक्ति की एकता का प्रतीक भी माना जाता है। विशेषकर कुंवारी कन्याएं और विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखकर सौभाग्य और गृहशांति की कामना करती हैं।
सावन न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, जल, अध्यात्म और संयम का पर्व भी है। महादेव की भक्ति से मन शुद्ध होता है, जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता आती है।
👉 “सब तक एक्सप्रेस” आप सभी श्रद्धालुओं को सावन के पावन मास की हार्दिक शुभकामनाएं देता है।
हर-हर महादेव!