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पशुपालन विभाग में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, कर्मचारियों की उपस्थिति बेमानी!

कैलाश चंद्र कौशिक की कलम से | सब तक एक्सप्रेस | जयपुर, राजस्थान

राजस्थान का पशुपालन विभाग इन दिनों भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों से घिरा हुआ है। वरिष्ठ पत्रकार कैलाश चंद्र कौशिक ने विभाग में व्याप्त अनियमितताओं और पैसों की उगाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि विभाग में ड्यूटी पर उपस्थिति का कोई मूल्य नहीं है, कार्य वही होते हैं जिनके बदले में पैसे दिए जाते हैं। जिनका कार्य नहीं करना होता, उनके लिए बहाने और टालमटोल की रणनीति अपनाई जाती है।

कौशिक का आरोप है कि विभाग में वेतन का एक हिस्सा अधिकारियों को देना पड़ता है, तभी वेतन जारी होता है। यह स्थिति केवल कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं, बल्कि पूरे विभाग में एक संगठित रैकेट के रूप में सक्रिय है, जो रिक्त पदों के नाम पर फर्जी भुगतान तक करता है।

उन्होंने यह भी कहा कि समस्याओं को सुलझाने की जगह उन्हें और उलझाया जाता है, जिससे पीड़ित कर्मचारी न्याय से वंचित रह जाते हैं। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि भारत सरकार की आई.सी.ए.आर. योजनाओं के तहत मिलने वाले फंड में भी बड़े घोटालों के संकेत मिल रहे हैं।

कौशिक ने आरोप लगाया कि ईमानदार कर्मचारियों के वेतन और भत्ते रोककर उन्हें दंडित किया जाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही मुख्यमंत्री जी की “जीरो टॉलरेंस नीति” है? यदि नहीं, तो अब तक इस विभाग में सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

बतौर भुक्तभोगी और पत्रकार, उन्होंने इस पूरे सिस्टम को बदलने और दोषियों के विरुद्ध जांच और दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।

सब तक एक्सप्रेस की यह रिपोर्ट विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है और उम्मीद करती है कि सरकार इस ओर जल्द ध्यान देगी।

(रिपोर्ट – सब तक एक्सप्रेस | जयपुर ब्यूरो)

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