भारत बना बाघों का सरताज : अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बोले बांधवगढ़ विधायक शिवनारायन सिंह
“बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है”

राहुल शीतलानी, ब्यूरो चीफ उमरिया
उमरिया (मध्यप्रदेश) | 29 जुलाई 2025
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर बांधवगढ़ विधायक शिवनारायन सिंह ने समस्त नागरिकों को शुभकामनाएं देते हुए बाघ संरक्षण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि “बाघ न केवल भारत का राष्ट्रीय पशु है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर का प्रतीक भी है। आइए, इस अवसर पर हम सभी मिलकर बाघों के संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए स्वयं जागरूक बनें और दूसरों को भी प्रेरित करें।”
विधायक श्री सिंह ने बताया कि जब पूरी दुनिया से बाघों की संख्या घट रही थी और वे विलुप्ति की कगार पर पहुंच गए थे, तब भारत ने समय रहते कदम उठाया और बाघों के संरक्षण में अपनी वैश्विक नेतृत्व क्षमता सिद्ध की। यही कारण है कि आज विश्व में सबसे अधिक बाघ भारत में हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान समय में 51 बाघ अभ्यारण्य हैं, जो 18 राज्यों में फैले हैं। वर्ष 2018 की गणना के अनुसार, बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। भारत ने सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र में निर्धारित समय से चार वर्ष पूर्व ही बाघों की संख्या दुगुनी कर वैश्विक समुदाय को चौंका दिया है।
बांधवगढ़ – बाघों का गढ़
विधायक श्री सिंह ने गर्व के साथ बताया कि “बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान” उमरिया जिले की पहचान है। इसे वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था, जिसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किलोमीटर है। यह क्षेत्र न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में ‘टाइगर हॉटस्पॉट’ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां बाघों की सघन उपस्थिति और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। देश-विदेश से हजारों लोग हर साल यहां बाघों का दीदार करने आते हैं।
उन्होंने कहा कि “बांधवगढ़ केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि हमारे जैविक और पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग है। हमें इसे सुरक्षित रखना होगा।”
समुदाय की भूमिका जरूरी
श्री सिंह ने कहा कि भारत की बाघ संरक्षण नीति में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। हमारी परंपराएं हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ समरसता से जीना सिखाती हैं। यही सामूहिक चेतना भारत को वन्यजीव संरक्षण में विश्व अग्रणी बनाती है।
#सबतकएक्सप्रेस के लिए विशेष रिपोर्ट