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श्रृंगी ऋषि आश्रम को मिला नया महंत, हेमंत दास को सौंपा गया आध्यात्मिक दायित्व

संवाददाता | सब तक एक्सप्रेस | अयोध्या

श्रृंगी ऋषि आश्रम, शेरवाघाट में शनिवार को एक भव्य महंती समारोह के दौरान हनुमानगढ़ी के वरिष्ठ पुजारी हेमंत दास महाराज को आश्रम का नया महंत घोषित किया गया। यह घोषणा महंत जगदीश दास महाराज के निधन के उपरांत, उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप की गई।

महंत पद की यह घोषणा महंत संजय दास महाराज की अध्यक्षता में संत-समाज की उपस्थिति में की गई, जहां हेमंत दास महाराज को विधिवत कंठी, चद्दर और तिलक देकर गद्दी सौंपी गई। इस अवसर पर संतों-महंतों ने श्रद्धांजलि सभा के माध्यम से दिवंगत महंत जगदीश दास महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

महंत संजय दास महाराज ने कहा कि,

“गुरुदेव भगवान के आशीर्वाद से हमारे छोटे गुरु भाई हेमंत दास को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे पूरे मनोयोग से इस दायित्व का निर्वहन करेंगे और आश्रम का चौमुखी विकास करेंगे।”

नवनियुक्त महंत हेमंत दास महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा,

“महंत जगदीश दास जी की इच्छा थी कि हनुमानगढ़ी परंपरा से जुड़ा व्यक्ति आश्रम की सेवा करे। मुझे यह जिम्मेदारी देकर संतों-महंतों ने जो आशीर्वाद दिया है, मैं उसे जीवनपर्यंत निभाऊंगा। आश्रम की परंपरा और पौराणिक महत्व को बनाए रखते हुए इसका सर्वांगीण विकास किया जाएगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि श्रृंगी ऋषि आश्रम न केवल 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर एक प्रमुख पड़ाव है, बल्कि यह त्रेता युग और भगवान राम के जन्म प्रसंग से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां पुत्रेष्टि यज्ञ के बाद श्रृंगी ऋषि महाराज की तपस्थली और समाधि भी स्थित है, जो इसकी आध्यात्मिक महत्ता को और बढ़ाती है।

इस अवसर पर अयोध्या के अनेक प्रतिष्ठित संत-महंत उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख हैं:
निर्वाणी अनी अखाड़ा के मुरली दास, महंत सत्यदेव दास, नंदराम दास, बसंतिया पट्टी के महंत रामचरण दास, पहलवान राजेश दास, महंत प्रेम दास, महंत डॉ. महेश दास, महंत करुणानिधान शरण, महंत जन्मेजय शरण, महंत अवधेश कुमार दास, वैदेही बल्लभ शरण जी महाराज, जगतगुरु डॉ. राघवाचार्य जी, जगतगुरु कुरेशाचार्य जी, स्वामी वल्लभाचार्य, स्वामी रामदिनेशाचार्य, महंत जनार्दन दास, महंत हरिभजन दास, परशुराम दास, छविराम दास, महंत रामदास आदि।

सैकड़ों संतों-महंतों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न इस समारोह ने एक बार फिर अयोध्या की अध्यात्मिक गरिमा को सुदृढ़ किया।


 

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