“पेड़ हैं तो प्राण हैं” — संदीप मिश्रा की अनूठी पहल बन रही है हरियाली का जन-आंदोलन

सब तक एक्सप्रेस विशेष रिपोर्ट
सोनभद्र | राबर्ट्सगंज विधानसभा 401।
वातावरणीय असंतुलन, बढ़ता प्रदूषण और गिरता जलस्तर — ये सभी समस्याएं आज के समाज के सामने गंभीर चुनौती बन चुकी हैं। ऐसे समय में राबर्ट्सगंज विधानसभा 401 के सामाजिक कार्यकर्ता संदीप मिश्रा द्वारा शुरू किया गया “पेड़ हैं तो प्राण हैं” अभियान एक अनूठी पर्यावरणीय चेतना बनकर उभरा है।
इस अभियान का उद्देश्य केवल पौधे लगाना नहीं है, बल्कि समाज को यह समझाना है कि हर पेड़ जीवन का प्रतीक है — हवा, पानी, छाया, फल और भविष्य।
🌱 अभियान की विशेषताएं:
- हर घर में कम से कम 5 पौधे लगाने की अपील।
- हर गांव में युवाओं को जोड़कर “एक बच्चा – एक पौधा” का संकल्प।
- श्रद्धांजलि स्वरूप स्मृति-वृक्षारोपण की भावना को बढ़ावा।
- धार्मिक आयोजनों व पर्वों के साथ वृक्षारोपण को जोड़कर आस्था से हरियाली तक का सेतु।
संदीप मिश्रा ने इस अभियान की शुरुआत सिर्फ एक विचार से की थी, लेकिन आज यह विचार गांव-गांव, स्कूल-कॉलेज और मंदिरों तक पहुंच चुका है। हाल ही में उन्होंने विजयगढ़ दुर्ग, धोबही शिव सरोवर, कम्हरिया कॉलेज, पकरहट चतरा समेत कई स्थानों पर सैकड़ों वृक्षारोपण करवाए हैं।
🙏 भावनात्मक जुड़ाव भी अहम:
इस अभियान की खूबसूरती यह है कि इसमें मानवीय संवेदनाओं को भी शामिल किया गया है। शोक संतप्त परिवारों में जाकर दिवंगत आत्माओं की स्मृति में वृक्षारोपण करना — यह दर्शाता है कि यह पहल केवल प्रकृति की नहीं, बल्कि संवेदनशील समाज की भी है।
👏 युवाओं और ग्रामीणों की भागीदारी:
अभियान को लेकर युवाओं, छात्रों, ग्राम प्रधानों और स्वयंसेवकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। लोग स्वयं आगे आकर पौधे ले रहे हैं, और उन्हें संजोने का संकल्प भी कर रहे हैं।
संदीप मिश्रा कहते हैं:
“पेड़ लगाना केवल धरती को हरा करना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राणों का सृजन है। अगर आज हम नहीं जागे, तो कल का जीवन सिर्फ धुंए और धूप का होगा।“
🌎 एक छोटे गांव से उठी यह लहर अब बन रही है बड़ा संदेश।
“पेड़ हैं तो प्राण हैं” अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि हर दिल की पुकार बन गया है — एक ऐसा अभियान, जो धर्म, समाज, प्रकृति और भावनाओं को जोड़कर एक सुंदर भारत की नींव रख रहा है।
📍 सब तक एक्सप्रेस — सोनभद्र से विशेष रिपोर्ट