परमाणु ऊर्जा के खिलाफ वैश्विक मुहिम की ज़रूरत: तुहिन का आह्वान
“दुनिया भर में सभी परमाणु बिजलीघरों को तुरंत बंद किया जाए”

लखनऊ | सब तक एक्सप्रेस
पर्यावरण और मानव जीवन को बचाने के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ वैश्विक अभियान छेड़ने का आह्वान करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता तुहिन ने कहा है कि दुनिया भर में सभी परमाणु बिजलीघरों को तत्काल बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने यह बयान हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमलों की बरसी के अवसर पर दिया।
तुहिन ने कहा कि फुकुशिमा (2011), चेरनोबिल (1986) और थ्री माइल आइलैंड (1979) की त्रासदियां यह साबित कर चुकी हैं कि परमाणु ऊर्जा कभी भी सुरक्षित नहीं हो सकती। इसके दुष्परिणाम सिर्फ उस देश तक सीमित नहीं रहते, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करते हैं।
“रेडियोधर्मी कचरे का कोई सुरक्षित समाधान नहीं”
तुहिन ने जोर देकर कहा कि परमाणु बिजलीघरों से निकलने वाला कचरा दस लाख साल तक रेडियोधर्मी विकिरण फैलाता है। आज तक दुनिया में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहाँ इस कचरे को बिना जोखिम के ठिकाने लगाया जा सके।
उन्होंने यह भी बताया कि यूरेनियम खनन और संयंत्र निर्माण ने पहले ही प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किया है और परमाणु ऊर्जा का दावा सस्ता और सुरक्षित होना एक बड़ा भ्रम है।
भारत में जन विरोध को नजरअंदाज कर रही सरकार
तुहिन ने आरोप लगाया कि भारत सरकार परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जनविरोध और सुरक्षा चिंताओं को अनदेखा कर रही है। जैतापुर, कुडनकुलम, चुटका और अन्य स्थानों पर स्थानीय लोग विस्थापन और पर्यावरणीय खतरे को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत की मौजूदा सरकार अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों के दबाव में परमाणु कानूनों में संशोधन कर रही है, जिससे यदि कोई दुर्घटना होती है तो विदेशी कंपनियां जवाबदेह नहीं होंगी। इसका बोझ अंततः भारतीय जनता को उठाना पड़ेगा।”
“परमाणु ऊर्जा महाशक्तियों के लिए भी खतरा”
तुहिन ने बताया कि रूस, अमेरिका और जापान जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों में भी परमाणु संयंत्रों की दुर्घटनाएं हुई हैं। इसका मतलब है कि कोई भी देश इससे अछूता नहीं रह सकता।
तुहिन की मांगें और वैश्विक मुहिम
तुहिन ने परमाणु ऊर्जा के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय जन प्रतिरोध मोर्चा के गठन की जरूरत बताते हुए निम्नलिखित मांगें उठाईं:
- सभी परमाणु बिजलीघरों और संयंत्रों को तत्काल बंद किया जाए।
- सभी नाभिकीय, जैविक और रासायनिक हथियारों को नष्ट किया जाए।
- पर्यावरण के अनुकूल, नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार किया जाए।
- विदेशी कंपनियों की मुनाफाखोरी को रोका जाए।
- जनता की भागीदारी से नीतियाँ तय की जाएं।
“अब भी समय है चेतने का”
अपने संदेश के अंत में तुहिन ने कहा, “हमें मिलकर इस विनाशकारी तकनीक को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। कल बहुत देर हो जाएगी। यह सिर्फ पर्यावरण का सवाल नहीं, बल्कि मानवता के भविष्य का सवाल है।”