सोनभद्र में गूँजी संस्कृति की गूंज, सम्पन्न हुई ‘गुप्तकाशी तीर्थायन यात्रा’

✍ सब तक एक्सप्रेस संवाददाता | सोनभद्र
सोनभद्र।
भारतीय संस्कृति और धरोहरों के संरक्षण की अलख जगाने वाली “गुप्तकाशी तीर्थायन यात्रा 2025” का रविवार को गुप्तकाशी में भव्य समापन हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से आरंभ हुई इस यात्रा में देशभर के 200 से अधिक विद्वानों, चिकित्सकों, समाजसेवियों, शोधकर्ताओं और चिंतकों ने सहभागिता की।
कार्यक्रम का आयोजन गुप्तकाशी विकास परिषद, काशी कथा न्यास एवं उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, संस्कृति विभाग लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
संरक्षक पंडित पारसनाथ मिश्रा ने कहा कि सोनभद्र की यह भूमि वैदिक और पौराणिक काल से मानव सभ्यता और भारतीय संस्कृति का केंद्र रही है। यहाँ की सोन घाटी, विंध्य पर्वत और देवभूमि अपने ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।
संयोजक डॉ. अवधेश दीक्षित ने बताया कि यात्रा का उद्देश्य गुप्तकाशी की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।
गुप्तकाशी विकास परिषद के अध्यक्ष पंडित आलोक चतुर्वेदी ने कहा कि सोनभद्र भारत का एकमात्र जिला है, जो चार राज्यों से सटा हुआ है और ऊर्जा राजधानी के नाम से जाना जाता है।
कार्यक्रम में प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा (पूर्व कुलपति, एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ) ने कहा कि गुप्तकाशी की सभ्यता और रहन-सहन काशी की परंपराओं से जुड़ा है। वहीं डॉ. अभिजीत दीक्षित (निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र) ने गुप्तकाशी को ‘छिपा हुआ काशी’ बताते हुए इसके महाभारतकालीन महत्व को रेखांकित किया।
प्रो. सिद्धनाथ उपाध्याय (पूर्व निदेशक, आईआईटी बीएचयू) ने कहा कि गुप्तकाशी के हर कोने में एक कहानी छिपी है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
यात्रा का विशेष आकर्षण रही प्रख्यात राष्ट्रीय भजन गायिका रजनी तिवारी, जिन्होंने अपने दल के साथ संपूर्ण यात्रा में भजन-कीर्तन प्रस्तुत कर माहौल को भक्तिमय बना दिया।
यात्रा बीएचयू से प्रारंभ होकर चुर्क, पंचमुखी महादेव मंदिर, धंधरौल बाँध, सहस्त्र शिवलिंग, विजयगढ़ दुर्ग, ब्रह्म सरोवर, राम सरोवर, शिव सरोवर और बाबा मत्स्येंद्र नाथ तपस्थली होते हुए गुप्तकाशी पहुँची। यहाँ वनवासी समाज की लोककला और संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन हुआ।
इस यात्रा में भारत, नेपाल और बांग्लादेश सहित तीन देशों और चार राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के 12 जिलों से बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी रही।
गुप्तकाशी में पहली बार दिखा सांस्कृतिक संस्थानों का संगम
गुप्तकाशी तीर्थायन यात्रा में गुप्तकाशी विकास परिषद, काशी कथा न्यास, काशी कथा आश्रम, संस्कृति विभाग (लखनऊ), भारत अध्ययन केंद्र (बीएचयू), भोजपुरी अध्ययन केंद्र (बीएचयू), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (वाराणसी), तीर्थायन वाराणसी, अंतर्राष्ट्रीय घाट वाक विश्वविद्यालय, रोटरी क्लब, भारत विकास परिषद व वाराणसी सांस्कृतिक संगठन समेत कई संस्थाओं ने हिस्सा लिया।



