योगी कैबिनेट बैठक: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को तोहफ़ा, निर्यात नीति और ई-बसों पर भी मुहर

लखनऊ, संवाददाता सब तक एक्सप्रेस।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक प्रदेश के लिए कई बड़ी सौगातें लेकर आई। बैठक में कुल 15 अहम प्रस्तावों को मंजूरी मिली, जिनमें आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला सबसे प्रमुख रहा।
प्रदेश के लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को हरी झंडी दी गई। इस कदम से कर्मचारियों को समय पर वेतन, ईपीएफ कटौती और अन्य सभी सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। सरकार का कहना है कि अब किसी भी आउटसोर्सिंग कर्मचारी का शोषण नहीं होने दिया जाएगा।
बैठक में उत्तर प्रदेश की नई निर्यात नीति 2030 को मंजूरी दी गई, जिससे कारोबारियों और निर्यातकों को विशेष रियायतें मिलेंगी। यह नीति राज्य को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
शहरी परिवहन को और सुदृढ़ बनाने के लिए लखनऊ और कानपुर में 100-100 नई ई-बसें खरीदी जाएंगी। इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की गुणवत्ता बढ़ेगी और प्रदूषण में भी कमी आएगी।
इसके अलावा, पैतृक संपत्ति के बंटवारे की रजिस्ट्री अब केवल 5000 रुपये शुल्क पर कराई जा सकेगी। वहीं, औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के तहत कई कंपनियों को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली।
बैठक में स्टांप विभाग को सरकारी विभाग घोषित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025 को भी स्वीकृति दी गई।
कैबिनेट में संभल मामले से जुड़ी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।
👉 कुल मिलाकर, कैबिनेट की यह बैठक न केवल आउटसोर्सिंग कर्मचारियों बल्कि आम नागरिकों, कारोबारियों और निवेशकों के लिए भी राहत और विकास से जुड़ी बड़ी घोषणाएं लेकर आयी।