
सब तक एक्सप्रेस समाचार
जयपुर। संवाददाता।
राजधानी जयपुर की चारदीवारी क्षेत्र में दिवाली से पहले सुरक्षा के हालात चिंताजनक बन गए हैं। यहां पटाखों के लाइसेंस रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे हैं, जबकि दुकानों के ऊपर बैंक, औषधालय, धार्मिक स्थल और परिवार रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि थोड़ी-सी लापरवाही पूरे इलाके को खतरे में डाल सकती है।
संवेदनशील जगहों पर पटाखों की दुकानें
जानकारी के मुताबिक—
- दुकान नंबर 64 के ऊपर बैंक संचालित है, जहां दिनभर ग्राहकों का आना-जाना लगा रहता है और ऊपरी मंजिल पर परिवार भी निवास करते हैं।
- दुकान नंबर 114-116 के ऊपर आयुर्वेद औषधालय और धार्मिक स्थल है। यहां भी आमजन की भारी आवाजाही रहती है।
- दुकान नंबर 227-229 के ऊपर भी बैंक है और आसपास कई परिवार रहते हैं।
इसके बावजूद इन दुकानों पर पटाखा बिक्री के लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं।
जांच पर उठे सवाल
लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पुलिस कमिश्नर कार्यालय से होती है। संबंधित थाने के कर्मचारी जांच रिपोर्ट तैयार कर भेजते हैं। आरोप है कि थाना स्तर पर कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से सुविधा शुल्क लेकर रिपोर्ट पूरी बताई जाती है, जिसके बाद लाइसेंस धारक को आसानी से अनुमति मिल जाती है। इस दौरान यह तक नहीं देखा जाता कि दुकानें घनी आबादी, धार्मिक स्थलों और बैंकों के बीच हैं, जहां हर समय भीड़ रहती है।
बड़ा खतरा, किसकी जिम्मेदारी?
विशेषज्ञों का कहना है कि—
- क्या दिवाली पर बैंक 15 दिन तक बंद रह सकते हैं?
- क्या धार्मिक स्थलों और परिवारों को खतरे से बचाने की जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं है?
स्थिति केवल कोतवाली इलाके तक सीमित नहीं है, बल्कि खातिपुरा, कालवाड़ रोड और जयपुर शहर के अन्य हिस्सों में भी यही हालात हैं।
अगर त्योहार के दौरान कोई हादसा या विस्फोट होता है तो सीधी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी, क्योंकि लापरवाही और अनदेखी के चलते शहर को बारूद के ढेर पर बैठा दिया गया है।