अंतरराष्ट्रीय

इटली की मेलोनी सरकार: बुर्का पहनने पर भारी जुर्माना और मस्जिदों पर कड़ी कार्रवाई का नया बिल

इटली में बुर्का पहनने पर जुर्माना: नई सख्त नीतियों का आगाज़

इटली की मौजूदा सरकार, जो प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी द्वारा संचालित है, ने एक नया बिल पेश किया है जो बुर्का और नकाब पहनने पर सख्त प्रतिबंध लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस प्रस्तावित कानून के तहत, न केवल बुर्का और नकाब पहनने वाली महिलाओं पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि मस्जिदों और मुस्लिम समुदायों पर भी नई पाबंदियाँ लगाई जा सकती हैं।

बुर्का पर प्रतिबंध का प्रस्ताव

जॉर्जिया मेलोनी की सरकार ने ऐलान किया है कि यदि कोई महिला सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का या नकाब पहनती है, तो उसे लगभग 3 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह कदम इटली में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ एक सख्त नीति के तहत उठाया जा रहा है। मेलोनी का कहना है कि यह कानून सुरक्षा और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक जीवन में सभी की पहचान स्पष्ट और दिखाई दे।

प्रतिक्रिया और विवाद

इस प्रस्ताव को लेकर प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। जहाँ कुछ लोग इसे राष्ट्र के साथ-साथ मानवीय मूल्यों की सुरक्षा के लिए एक आवश्यक कदम मानते हैं, वहीं कई अन्य इसे शीर्ष पर आधारित भेदभाव के रूप में देख रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन करेगा और उन्हें सार्वजनिक जीवन से बहिष्कृत करेगा। इस कारण, समाज में विभाजन की संभावना बढ़ गई है।

मास्क और अन्य परिधान

न केवल बुर्का, बल्कि नकाब और अन्य इस्लामी परिधान भी इस नए कानून के दायरे में आएंगे। मेलोनी सरकार का मानना है कि यह कदम इटली में धार्मिक पहचान को भेदभाव के बजाय साझा नागरिकता की ओर ले जाने की दिशा में है। इस दृष्टिकोण में, सरकार यह चाहती है कि सभी नागरिक समानता और अधिकारों से संपन्न हों, जिसके लिए हर किसी को अपनी पहचान को खुलकर प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।

धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल

इटली में इस तरह के कानून को लागू करना धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को भी उठाता है। कई मुस्लिम समूहों ने कहा है कि इस प्रकार के कानून धार्मिक पहचान को दबाने का प्रयास हैं। उनका यह भी कहना है कि यह कदम समाज में सहिष्णुता और विविधता की भावना को कमजोर करेगा। मुस्लिम समुदाय ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि वे इटली की संस्कृति का सम्मान करते हैं, परंतु वे अपनी धार्मिक पहचान को भी बनाए रखना चाहते हैं।

मस्जिदों पर सख्ती: एक नई नीति

मस्जिदों पर भी सख्ती लागू करने की योजना बनाई गई है। नई नीतियों के तहत मस्जिदों के अंदर और बाहर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विशेष धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा के साथ-साथ शांति भी मौजूद रहे। हालांकि, इसका भी कई समुदायों ने विरोध किया है, जो इसे उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर हमला मानते हैं।

राजनीति में दक्षिणपंथ का उदय

इस नए कानून के साथ-साथ, इटली में दक्षिणपंथी राजनीति की दिशा में एक बड़ा बदलाव देख रहा है। ऐसी स्थिति यह सिद्ध करती है कि इटली, जो एक बार विविधता और सहिष्णुता के लिए जाना जाता था, अब एक नया दक्षिणपंथी चेहरा अपना रहा है। समाज के एक वर्ग का मानना है कि यह कदम इटली के इतिहास में एक नया अध्याय खोल सकता है, जिसमें राष्ट्रीय पहचान की रक्षा के नाम पर धार्मिक पहचान को संकुचित किया जा सकता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

इस तरह के कानूनों का समाज पर गहरा असर पड़ सकता है। धार्मिक पहचान पर आधारित प्रतिबंध से न केवल मौजूदा मुस्लिम समुदाय प्रभावित होगा, बल्कि समग्र समाज में भी असहिष्णुता का वातावरण पैदा हो सकता है। इस कानून के लागू होने से धार्मिक कट्टरपंथ को खत्म करने के बजाय, शायद यह समाज में नई खाइयाँ बना सकता है।

निष्कर्ष

इटली में बुर्का और नकाब पर प्रस्तावित पाबंदी, जॉर्जिया मेलोनी की सरकार की नई नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे लेकर उठ रहे विवादों में धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक समानता, और सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे शामिल हैं। यह कही ना कही दक्षिणपंथी राजनीति की एक नई दिशा को भी दर्शाता है, जो कि कई प्रकार के सामाजिक और cultural tensions को जन्म दे सकता है।

जबकि कुछ लोग इसे इटली की सुरक्षा और नागरिक अधिकारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, विरोधी इसे भेदभाव और असहिष्णुता का प्रतीक मानते हैं। इस प्रकार की नीतियों का कोई भी स्वरूप, अंततः समाज में सामाजिक सामंजस्य और विविधता के गुण को प्रभावित करेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button