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दिल्ली उच्च न्यायालय ने परमाणु चिकित्सा पेशेवरों की परीक्षा मामले में किया हस्तक्षेप

NMTCT-2025 के लिए न्याय की मांग पर सुनवाई, 24 दिसंबर तक जवाब तलब

नई दिल्ली, अक्टूबर 2025 | विशेष संवाददाता — शैलेन्द्र यादव, सब तक एक्सप्रेस

भारत के परमाणु चिकित्सा पेशेवरों की लंबे समय से चली आ रही चिंताएँ अब दिल्ली उच्च न्यायालय तक पहुँच गई हैं। एक अहम घटनाक्रम में “परमाणु चिकित्सा बनाम भारत संघ” शीर्षक वाले मामले की सुनवाई बुधवार को माननीय मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और माननीय न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष हुई।

यह याचिका भारतीय परमाणु चिकित्सा भौतिक विज्ञानी संघ द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से अधिवक्ता हर्ष सिंघल, कुणाल तनेजा, उत्कर्ष सिंघल और मुक्ता अवनीश ने पैरवी की। वहीं प्रतिवादी पक्ष — भारत संघ का प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार की स्थायी वकील राधिका विश्वजीत दुबे ने किया, जिनकी सहायता गुरलीन कौर वरैच और कृतार्थ उपाध्याय ने की।

याचिका में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) और संबंधित संस्थानों द्वारा आयोजित परमाणु चिकित्सा प्रौद्योगिकीविद् परीक्षा (NMTCT-2025) के संचालन, मान्यता और नियामक ढाँचे को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि देशभर में योग्य पेशेवरों के प्रमाणन और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में “समानता और पारदर्शिता” का अभाव है।

सुनवाई के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 24 दिसंबर 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने भारत संघ से कहा है कि वह अगली सुनवाई से पूर्व अपना विस्तृत उत्तर प्रस्तुत करे।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला परमाणु चिकित्सा प्रौद्योगिकीविदों और भौतिकविदों के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है, जो देशभर में डायग्नोस्टिक इमेजिंग और कैंसर उपचार में अहम भूमिका निभाते हैं। ये पेशेवर लंबे समय से स्पष्ट दिशानिर्देश, परीक्षाओं के मानकीकरण और एईआरबी मानदंडों के अनुसार मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों की मान्यता की माँग कर रहे हैं।

परमाणु चिकित्सा समुदाय के प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत में कहा —

“यह केवल एक पेशेवर विवाद नहीं, बल्कि न्याय, समान मानकों और भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिक योगदान की मान्यता की लड़ाई है।”

अब यह मामला 24 दिसंबर 2025 को पीठ के समक्ष आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।


 

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