
जयपुर। संवाददाता। सबतक एक्सप्रेस।
किशनपोल बाजार में मस्जिद के ठीक नीचे स्थायी पटाखा विक्रेता को लाइसेंस जारी होने के मामले ने सुरक्षा की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि धार्मिक स्थल के पास या नीचे पटाखों की बिक्री व भंडारण से बड़ा हादसा हो सकता है, वहीं प्रशासन की अनदेखी से जोखिम और भी बढ़ रहा है।
स्थानीय स्रोतों ने बताया कि दुकान संख्या 310 को पुलिस कमिश्नरालय, लाइसेंस एंड लीगल सेल के तहत स्थायी लाइसेंस दिया गया है, लेकिन उसी सिरे पर चार दुकानों (311, 312, 313) में भी खुलेआम पटाखों की बिक्री हो रही है। इससे इलाके में विस्फोटक नीति एवं सामान्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन होने का आरोप लगाया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों और दुकानदारों का कहना है कि धार्मिक स्थल—मस्जिद सांभरियान—के ठीक ऊपर/पास पटाखों का भंडार होने पर भारी जनसन्निकटन में किसी दुर्घटना की स्थिति में जनधन और मानव जीवन को बड़ा नुकसान हो सकता है। वे यह भी बता रहे हैं कि 1984 तथा 2008 के विस्फोटक/सुरक्षा नियमों के सन्दर्भ में ऐसे लाइसेंस जारी करना अनुचित कहा जाता है।

उत्तर पुलिस क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी (एसीपी) को मामले की जानकारी देने पर उन्होंने नैतिक प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यदि अन्य दुकानों में भी नियमों के विरुद्ध पटाखों की बिक्री हो रही है तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। मगर स्थानीय लोगों का मत है कि केवल आश्वासन पर्याप्त नहीं—तुरंत ऑडिट, निरीक्षण और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कदम उठाए जाएँ।
खतरों का सार:
- धार्मिक स्थल के नज़दीक भंडारित पटाखों से भीड़-भाड़ वाले इलाके में विस्फोट का जोखिम अधिक रहता है।
- एक लाइसेंस के नाम पर आस-पास की कई दुकानें पटाखे बेच रही हैं, जिससे नियमों की धज्जियाँ उड़ रही हैं।
- स्थानीय निवासियों का भरोसा घट रहा है; वे कार्रवाई की जल्द मांग कर रहे हैं।
क्या होना चाहिए:
- संबंधित विभागों (लाइसेंस एंड लीगल सेल, उत्तर पुलिस एसीपी कार्यालय व नगर निगम/फायर ब्रिगेड) द्वारा तुरंत औपचारिक निरीक्षण और लाइसेंस का सत्यापन किया जाना चाहिए।
- यदि नियमों का उल्लंघन पाया गया तो अतिरिक्त दुकानों की बिक्री रोक कर जंखिम हटाने के उपाय किए जाएँ।
- आग और विस्फोट से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा जागरूकता तथा आपात प्रोटोकॉल सार्वजनिक किए जाएं।
नागरिक और व्यापारी सुरक्षा की दृष्टि से यह मामला संवेदनशील है। क्या जयपुर पुलिस कमिश्नरालय और संबंधित विभाग समय रहते ठोस कदम उठाएंगे — यही अब देखने की बात है।
📍 रिपोर्ट — सब तक एक्सप्रेस, जयपुर



