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अमेरिका में भारतीय सुब्रमण्यम वेदम हत्याकांड प्रकरण | निर्वासन की कार्यवाही | निर्दोष भारतीय ने 43 वर्ष अमेरिकी जेल में बिताए…

43 वर्षों तक गलत आरोप में जेल में रहे भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को मिली अस्थायी राहत

अमेरिका में 43 वर्षों तक झूठे आरोप के कारण जेल में बंद रहे भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को फिलहाल राहत प्राप्त हुई है। दो अलग-अलग न्यायालयों ने इस समय उनके निष्कासन (डिपोर्टेशन) अर्थात भारत भेजे जाने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

सबसे पहले, एक इमिग्रेशन न्यायाधीश ने सोमवार को वेदम के निष्कासन पर स्थगन आदेश जारी किया है, जब तक कि बोर्ड ऑफ इमिग्रेशन अपील्स (BIA) यह निर्णय न ले ले कि उनका मामला दोबारा सुना जाना चाहिए या नहीं। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य पेंसिलवेनिया जिला न्यायालय (U.S. District Court Pennsylvania) ने भी उसी दिन उनके निष्कासन की प्रक्रिया हटाने का आदेश पारित किया।


रिहाई के बाद पुनः हिरासत में लिए गए थे

NBC न्यूज के अनुसार अब यह मामला इमिग्रेशन अपील बोर्ड में जाएगा, जिसका निर्णय आने में कुछ माह लग सकते हैं। 64 वर्षीय वेदम को इसी वर्ष 3 अक्तूबर को रिहा किया गया था। वे पेंसिलवेनिया राज्य के स्थायी निवासी हैं। वर्ष 1980 में उन पर अपने सहपाठी की हत्या का आरोप लगाया गया था।

यद्यपि वेदम ने सदैव अपनी निर्दोषता का दावा किया, फिर भी उन्हें 1983 और 1988 में दो बार दोषी ठहराकर बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। रिहा होने के पश्चात जैसे ही वे जेल से बाहर आए, आव्रजन विभाग (Immigration Department) ने उन्हें पुनः हिरासत में ले लिया। वर्तमान में वे लुइज़ियाना के एक निष्कासन केंद्र में निरुद्ध हैं।


मृतक के साथ अंतिम बार देखे गए थे वेदम

सुब्रमण्यम वेदम और थॉमस किंसर, दोनों वर्ष 1980 में पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी थे। दोनों लगभग 19 वर्ष के थे और एक-दूसरे को भलीभाँति जानते थे।

रिपोर्टों के अनुसार, वेदम ने किंसर से कहा कि उन्हें मादक पदार्थ (ड्रग्स) खरीदने जाना है और उन्होंने किंसर से लिफ्ट मांगी। दोनों साथ निकले, और किंसर को अंतिम बार जीवित उसी समय देखा गया।

कुछ दिनों बाद किंसर की वैन उसके आवास के बाहर खड़ी मिली, किंतु वह स्वयं लापता था। नौ महीने बाद, कुछ राहगीरों को एक वन क्षेत्र में एक शव मिला, जो बाद में किंसर का निकला। उसे गोली मारकर हत्या की गई थी। चूँकि किंसर को अंतिम बार वेदम के साथ देखा गया था और वेदम का व्यवहार पुलिस को संदिग्ध लगा, इसलिए उन्हें मुख्य आरोपी बना दिया गया।

परंतु इस प्रकरण में कोई प्रत्यक्षदर्शी या ठोस प्रमाण नहीं था। इसके बावजूद वेदम पर हत्या का अभियोग चलाया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया।


हत्या का आरोप झूठा सिद्ध हुआ

किंसर हत्याकांड में इस वर्ष अगस्त 2025 में नया साक्ष्य सामने आया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि हत्या में प्रयुक्त गोली उस बंदूक से नहीं चली थी, जो वेदम से जोड़ी गई थी। अर्थात्, यह सिद्ध हुआ कि उन पर लगाया गया आरोप पूर्णत: असत्य था।

मूल रूप से पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि वेदम ने .25 कैलिबर की बंदूक खरीदकर हत्या की। सुनवाई के दौरान एक स्थानीय किशोर ने गवाही दी थी कि उसने वेदम को पुरानी .25 कैलिबर हैंडगन बेची थी, और इसी आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया।

किन्तु एफबीआई (FBI) की रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख था कि मृतक के शरीर पर गोली का घाव .25 कैलिबर बंदूक से मेल नहीं खाता। घाव आकार में छोटा था, जो किसी अन्य हथियार से चली गोली से बना था। यह रिपोर्ट वर्ष 2023 में वेदम के नए अधिवक्ता बालचंद्रन को प्राप्त हुई।

बाद में यह तथ्य भी सामने आया कि सरकारी पक्ष (प्रॉसीक्यूशन) ने यह महत्वपूर्ण साक्ष्य अदालत से जानबूझकर छिपाया था। इसके उपरांत अदालत ने वेदम की सजा रद्द कर दी और उन्हें रिहा करने का आदेश दिया। न्यायालय ने टिप्पणी की कि यदि यह जानकारी पहले प्रस्तुत की जाती, तो वेदम को कभी दोषी नहीं ठहराया जाता।


बहन ने 43 वर्षों तक लड़ी न्याय की लड़ाई

पिछले 43 वर्षों से वेदम की बहन सरस्वती वेदम उनके निर्दोष होने की लड़ाई लड़ती रहीं।

सुब्रमण्यम वेदम केवल 9 माह की आयु में अपने माता-पिता के साथ कानूनी रूप से अमेरिका आए थे। उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक थे और परिवार स्टेट कॉलेज में निवास करता था।

वेदम अमेरिका के वैध स्थायी निवासी (Legal Permanent Resident) हैं। उनके वकीलों के अनुसार, उनकी नागरिकता की अर्जी स्वीकृत हो चुकी थी, परंतु 1982 में हत्या का झूठा आरोप लगने के कारण गिरफ्तारी हो गई।

सरस्वती वेदम ने कहा—

“हमें प्रसन्नता है कि दो न्यायालयों ने माना कि उन्हें निष्कासित नहीं किया जाना चाहिए। हमें आशा है कि अदालत यह भी समझेगी कि उन्हें भारत भेजना एक और अन्याय होगा। वे 43 वर्षों तक उस अपराध के लिए जेल में रहे, जो उन्होंने किया ही नहीं, और उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन अमेरिका में व्यतीत किया है। अब उनका निष्कासन अनुचित होगा।”


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