उत्तर प्रदेशटॉप न्यूजदिल्ली

‘राष्ट्रहित में है अंतरजातीय विवाह, किसी भी दखलअंदाजी को जगह नहीं’ — धमकियां झेल रहे दंपती को दिल्ली हाई कोर्ट की सुरक्षा

सब तक एक्सप्रेस न्यूज
नई दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली। अंतरजातीय विवाह को लेकर जारी सामाजिक हस्तक्षेप पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि अंतरजातीय विवाह राष्ट्रीय हित में हैं और दो वयस्कों के व्यक्तिगत निर्णय में परिवार या समुदाय का हस्तक्षेप कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने यह टिप्पणी उस समय की, जब अदालत एक ऐसे अंतरजातीय जोड़े की याचिका सुन रही थी, जिसे लड़की के परिवार से धमकियां मिल रही थीं। पिछले 11 वर्षों से रिश्ते में रहे इस दंपती ने विवाह का फैसला किया, लेकिन महिला के परिवारजनों — मां, बहन, जीजा और अन्य रिश्तेदारों — ने इसका विरोध करते हुए दबाव और धमकियां दीं। इसी आधार पर दंपती ने सुरक्षा की मांग की थी।

पुलिस को तुरंत खतरा-आकलन रिपोर्ट तैयार करने का आदेश

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने बताया कि पहले की शिकायत पर उन्हें एक कांस्टेबल का संपर्क नंबर उपलब्ध कराया गया था।
अदालत ने इससे आगे बढ़ते हुए निर्देश दिया कि:

  • संबंधित थाने का एसएचओ तत्काल खतरा-आकलन रिपोर्ट तैयार करे।
  • रिपोर्ट के आधार पर जोड़े को उचित सुरक्षा प्रदान की जाए।
  • डीडी एंट्री, बीट पेट्रोलिंग, और निवास के आसपास निगरानी बढ़ाने जैसे कदम उठाए जाएं।
  • किसी नई धमकी की सूचना पर पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी होगी।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ये निर्देश पूरी तरह सुरक्षात्मक और एहतियाती हैं और परिवार पर लगाए गए आरोपों की सत्यता पर कोर्ट ने कोई राय व्यक्त नहीं की है।

परिवार या समाज का हस्तक्षेप अस्वीकार्य

अदालत ने दोहराया कि यदि दो वयस्क अपनी इच्छा से विवाह या साथ रहने का निर्णय लेते हैं, तो:

  • कोई परिवार
  • कोई समुदाय
  • और न ही कोई सामाजिक समूह

उन्हें रोकने, धमकाने या निर्णय पर दबाव डालने का अधिकार रखता है।

दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश न केवल कानूनी संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी अंतरजातीय विवाह को लेकर सकारात्मक संदेश देता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!