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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : रिकॉर्ड मतदान के बीच जनभावनाओं ने बदला चुनावी समीकरण

सब तक एक्सप्रेस
संपादकीय टीम की विशेष रिपोर्ट

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने दोनों चरणों की वोटिंग के साथ सम्पन्न हो चुका है। इस बार का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा—चाहे वह मतदान प्रतिशत हो, चुनाव आयोग की नई व्यवस्थाएँ हों या मतदाताओं का अभूतपूर्व उत्साह। एक संपादक के तौर पर सब तक एक्सप्रेस की यह समीक्षा बताती है कि बिहार की जनता ने इस बार विकास, स्थिरता और बदलाव—तीनों को संतुलित रूप से परखा।

रिकॉर्ड तोड़ मतदान — जनभागीदारी का नया अध्याय

इस चुनाव में कुल मतदान 67% से अधिक रहा, जो पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में बेहतर है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही, वहीं युवाओं में भी पहली बार वोट करने का खास उत्साह देखा गया।
यह साफ संकेत है कि बिहार के मतदाता अब राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं, बल्कि ठोस कामकाज और ज़मीनी नतीजे चाहते हैं।

मुख्य मुद्दे — विकास, रोजगार और कानून व्यवस्था

चुनाव प्रचार में बड़े वादे जरूर हुए, पर वास्तविकता यह है कि जनता ने तीन मुद्दों को सबसे अधिक महत्व दिया—

  • रोजगार और उद्योग
  • बेहतर सड़क व स्वास्थ्य ढांचा
  • सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति

इस बार मतदाताओं ने जातीय राजनीति के ऊपर विकास को प्राथमिकता दी, जो बिहार की राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव माना जा रहा है।

ईवीएम, VVPAT और मतदान केंद्रों पर बेहतर व्यवस्था

चुनाव आयोग की तरफ से किए गए सुधारों ने मतदान प्रक्रिया को आसान बनाया।

  • दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएँ
  • महिलाओं के लिए मॉडल बूथ
  • तकनीक आधारित कतार प्रबंधन
    इन सभी ने मतदान को आसान, सुरक्षित और पारदर्शी बनाया।

किसके पक्ष में गया जनादेश?

अभी अंतिम नतीजे आने बाकी हैं, लेकिन मतदान रुझानों और जनभावनाओं से इतना स्पष्ट है कि बिहार इस बार “काम करने वाली सरकार” को तरजीह दे रहा है। युवा वर्ग और प्रथम बार मतदाता किसी भी राजनीतिक दल के लिए निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।

निष्कर्ष — बिहार बदल रहा है, राजनीति भी

2025 का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि बिहार की सोच, मतदाताओं की जागरूकता और लोकतांत्रिक शक्ति का नया उदाहरण है।
जनता अब विकास की राजनीति चाहती है, और यही इस बार के चुनाव की सबसे बड़ी सीख है।

— संपादक
सब तक एक्सप्रेस

 

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