दिल्ली में धमाके में मिलिट्री ग्रेड विस्फोटक के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है। जांच एजेंसियां PETN जैसे खतरनाक पदार्थ की मौजूदगी की पुष्टि में जुटी हैं

लाल किले की पुरानी दीवारों के पास अचानक का विस्फोट — वह धक्का जो हवा में गूँजता हुआ हर दिल को हिला देता है। स्थानीय सुबह की सामान्य-सी हलचल के बीच एक कार का अचानक क़हर, काँच के टुकड़े, धुएँ की लपटें और लोगों के चेहरों पर भय के निशान — ऐसा दृश्य जिसने क्षणभर में शहर की नर्म पट्टियों को कठोर वास्तविकता से मिला दिया।
जांच के तार फैल रहे हैं — घटनास्थल पर बिखरे प्रमाण, टायर के जलचिन्ह, धातु के मुड़े-घटित हिस्से और पाउडर की सूखी परतें — सब मिलकर एक कहानी कहते हैं: किसी ने जानबूझकर वह विध्वंसक शक्ति चुनी थी जो कम मात्रा में भी भयानक हो सकती है। विशेषज्ञों की जुबान पर जो शब्द बार-बार आते हैं, उनमें PETN का नाम है — एक रंगहीन क्रिस्टल, दिखने में मासूम पर विनाश में निर्दयी। Semtex और RDX के संदिग्ध भी हवा में तैरते हैं जैसे अनदेखा खतरा।
PETN की प्रकृति कठोर परोक्षशी है — वह चुपचाप, लगभग लबेस में छिपकर रहता है, और थोड़ी सी उपेक्षा पर भी विस्फोट की तेज़ तरंगें छोड़ देता है। यही कारण है कि वह खतरनाक भी है और रहस्यमयी भी — पहचान का आभास कम और प्रभाव का प्रमाण अधिक। जांचकर्ता, रात-दिन मैदान पर उतरे हुए, धूल और राख में से उन संकेतों को चुनने की जद्दोजहद कर रहे हैं जो इस उलझी पहेली को सुलझा सकें।
शहर के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लौटने की जद्दोजहद कर रहे हैं, पर उस क्षणिक धक्के की गूँज उनकी स्मृतियों में गहरी हो चुकी है। युद्धों में प्रयुक्त तार्किक गणना और आतंक के साधनों की चर्चा हमारे घरों के आम-बोलचीनी में आ गई है — यह संकेत है कि भय कितना आसानी से दैनिक जीवन को फिर से लिख देता है। और जिस दिन फोरेंसिक की रिपोर्टें आएँगी, तब यह सच्चाई और भी साफ़ होगी — क्या यह मानवीय जाल था, या केवल पदार्थ की क्रिया?



