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रामाधार सिंह का इस्तीफा: BJP के अंदरूनी असंतोष का संकेत या व्यक्तिगत नाराज़गी?

बिहार चुनाव के बीच रामाधार सिंह का इस्तीफा महज़ एक व्यक्ति की नाराज़गी नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर बढ़ती खींचतान का संकेत माना जा रहा है।
उनके पत्र में तीन मुख्य बिंदु उभरकर आते हैं —
  1. पार्टी नेतृत्व में “अपराधी तत्वों” की मौजूदगी पर असहमति।
  2. पुराने नेताओं (सुशील मोदी, कैलाशपति मिश्र) की उपेक्षा पर आक्रोश।
  3. टिकट वितरण में जातीय और आर्थिक प्रभाव का आरोप।
यह इस्तीफा न केवल बीजेपी की आंतरिक एकता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चुनाव से ठीक पहले पार्टी में वैचारिक मतभेद गहराते जा रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम विपक्ष के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त साबित हो सकता है।

जब आत्मसम्मान बनाम संगठन की लड़ाई सामने आई

पूर्व मंत्री रामाधार सिंह का बीजेपी से त्यागपत्र एक व्यक्ति की बगावत नहीं, बल्कि संगठन और सिद्धांत के बीच की खाई का प्रतीक है।

बीजेपी ने जिस कार्यकर्ता संस्कृति पर अपनी पहचान बनाई थी, आज वही संस्कृति जातीय समीकरणों और बाहुबलियों की राजनीति में गुम होती दिख रही है।
रामाधार सिंह का पत्र इस सच्चाई को उजागर करता है कि पार्टी में अब विचार नहीं, बल्कि “विजय” प्राथमिकता बन गई है।

अगर नेतृत्व आत्ममंथन नहीं करता, तो ऐसे त्यागपत्र आने वाले समय में “राजनीतिक विद्रोहों की श्रृंखला” में बदल सकते हैं।
कभी “सेवा, संगठन और संस्कार” का नारा देने वाली पार्टी के लिए यह स्थिति आत्मचिंतन की घड़ी है।

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