एक ओर पाकिस्तान की अदालतों में उठता तूफ़ान, दूसरी ओर नेपाल की नोटों की राह चीन की ओर मुड़ती हुई

पाकिस्तान की न्यायिक दुनिया इन दिनों मानो किसी अनचाहे तूफ़ान से जूझ रही है। जब जस्टिस अमीरुद्दीन खान ने फेडरल कांस्टिट्यूशन कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली, तो माहौल में उत्साह से अधिक चिंता थी। जिस अदालत को संविधान के 27वें संशोधन के द्वारा जन्म मिला, वही अदालत आज न्यायपालिका की आत्मा पर सवाल खड़े कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों का इस्तीफा उस बेचैनी का प्रतीक है, जो अब कानून के गलियारों में गूंज रही है। वकीलों के चेहरे पर चिंता, उनके सुर में विरोध और उनके शब्दों में चेतावनी—सब मिलकर एक अनिश्चित भविष्य का चित्र खींचते हैं।
HighLights
जस्टिस अमीरुद्दीन खान ने ली शपथ
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का इस्तीफा
संविधान संशोधन की समीक्षा की मांग
दूर हिमालय की शांत घाटियों में बसे नेपाल का आर्थिक सफर भी इन दिनों नई दिशा ले रहा है। कभी भारत की प्रेसों में जन्म लेने वाले नेपाली नोट अब चीन की मशीनों में मुद्रित होंगे। 430 मिलियन नोटों का यह ठेका केवल आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि कूटनीतिक संकेत भी है। चीन की आधुनिक तकनीक और सस्ती छपाई की चमक ने नेपाल को आकर्षित किया है, और भारत की असहमति ने उसे और आगे चीन की ओर धकेला है। यह आर्थिक कहानी उतनी ही रोचक है, जितनी राजनीतिक।



