
उदयपुर शहर के देबारी क्षेत्र में रविवार को घटी एक घटना ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। यह घटना न तो किसी पुरानी दुश्मनी का परिणाम थी और न ही किसी आपसी झगड़े की वजह। बल्कि, यह तीन दोस्तों के बीच चल रही हल्की-फुल्की मजाक-मस्ती के दौरान हुई एक ऐसी चूक थी, जिसने एक पल में एक परिवार की खुशियाँ छीन लीं और दो अन्य युवकों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। मृतक युवक का नाम प्रताप सिंह देवड़ा था, और गोली चलाने वाला कोई अपराधी नहीं, बल्कि उसका अपना दोस्त — लॉ स्टूडेंट जिगर जोशी था।
घटना की शुरुआत: खेत पर खराब मोटर और दोस्तों की मुलाकात
प्रतापनगर थाना क्षेत्र में स्थित देबारी के खेतों में उस दिन सामान्य कामकाज ही चल रहा था। प्रताप सिंह देवड़ा अपने खेत पर पहुंचा था, क्योंकि कुएं की मोटर खराब हो गई थी। मोटर को ठीक कराने के लिए उसने अपने दोस्त राजेंद्र सिंह को बुलाया। कुछ ही देर बाद उनका तीसरा दोस्त, जिगर जोशी, भी वहां आ गया।
जिगर कोई साधारण युवक नहीं था—वह लॉ की पढ़ाई कर रहा था और उसके पास एक निजी पिस्टल थी। बाद में पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि पिस्टल अवैध थी।
हथियार से छेड़छाड़ और फिर हुआ हादसा
तीनों दोस्त आपस में हंसते-बोलते रहे। खेत का माहौल बिल्कुल सामान्य था। इसी बीच जिगर ने अपनी निजी पिस्टल बाहर निकाली। प्रताप और राजेंद्र, दोनों दोस्त इसे देखकर पहले तो चौंके, लेकिन फिर माहौल मजाक का हो गया।
तीनों हथियार को हाथ में लेकर देखने लगे, उसे घुमाने लगे और आपस में मजाक भी करते रहे।
मजाक में दब गया ट्रिगर — और बदल गई जिंदगी
इतना हल्का-फुल्का माहौल किसी त्रासदी का संकेत नहीं दे रहा था। लेकिन इसी दौरान जिगर जोशी के हाथ से अचानक ट्रिगर दब गया।
और पिस्टल से निकली गोली सीधी प्रताप सिंह देवड़ा के सीने में जा लगी।
सब कुछ इतना तेजी से हुआ कि किसी को मौका ही नहीं मिला कि वह कुछ समझ सके। प्रताप वहीं गिर पड़ा, और दोनों दोस्त — राजेंद्र और जिगर — सदमे में खड़े रह गए।
घबराए दोस्तों ने खुद दी पुलिस को जानकारी
जैसे ही प्रताप गिरा, दोनों दोस्त उसे उठाकर तुरंत एमबी हॉस्पिटल ले गए।
अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने प्रताप सिंह को मृत घोषित कर दिया।
दोनों युवक न भागे, न झूठ बोले — वे वहीं अस्पताल में उपस्थित रहे।
प्रतापनगर थानाधिकारी राजेन्द्र चारण के अनुसार, दोनों दोस्तों ने पुलिस को पूरा घटनाक्रम बताया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिस्टल जिगर की थी और मजाक-मस्ती में उसे पकड़े हुए अचानक ट्रिगर दब गया।
पुलिस जांच और जब्त हुई पिस्टल
पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह पिस्टल अवैध पाई गई है। अब यह जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा है कि हथियार जिगर के पास कैसे पहुंचा, कहाँ से खरीदी गई, और उसका इस्तेमाल किन परिस्थितियों में किया जाता था।
पुलिस ने घटनास्थल से सभी साक्ष्य जुटाए—
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पिस्टल
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खोखा
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खून के नमूने
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घटनास्थल की तस्वीरें
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मोबाइल फोन के डेटा
जिगर जोशी को हिरासत में ले लिया गया है और उसके खिलाफ धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।
दुख में डूबा परिवार — सदमे में दोस्त
प्रताप सिंह देवड़ा का परिवार इस हादसे के बाद गहरे सदमे में है।
एक मां ने अपना जवान बेटा खो दिया, और एक परिवार की उम्मीदें अचानक खत्म हो गईं।
दूसरी ओर, राजेंद्र और जिगर दोनों भी मानसिक रूप से टूट चुके हैं।
जिगर लगातार यही कह रहा है कि उसका किसी भी तरह से प्रताप को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था।
हादसा उसकी जिंदगी पर भी भारी पड़ गया है — वह न केवल कानूनी मुसीबत में है, बल्कि अपने सबसे करीबी दोस्त की मौत के अपराधबोध से भी ग्रस्त है।
लॉ स्टूडेंट का हथियार रखना — बड़ा सवाल
पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने स्पष्ट कहा कि जिगर के पास मौजूद पिस्टल अवैध है।
सवाल यह उठता है कि एक लॉ स्टूडेंट को अवैध हथियार की जरूरत क्यों पड़ी?
क्या किसी ने उसे हथियार दिया था?
क्या वह इसे सिर्फ दिखावा समझकर साथ रखता था?
ये सारे सवाल पुलिस की आगे की जांच में जवाब पाएंगे।
हास्यास्पद लापरवाही का खतरनाक परिणाम
यह घटना एक बहुत बड़ी सीख भी देती है।
हथियार खिलौना नहीं होते।
लेकिन भारतीय समाज में कई बार लोग हथियार को “स्टेटस सिंबल” या “शो ऑफ” का साधन समझ लेते हैं।
एक पल की लापरवाही ने—
✔ एक युवक की जान ले ली
✔ दो युवकों का जीवन बर्बाद कर दिया
✔ एक परिवार को हमेशा के लिए दुख में डूबा दिया
समाज के लिए संदेश
इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मजाक-मस्ती में हथियार से खेलने का क्या परिणाम हो सकता है।
यदि सही समय पर सावधानी बरती जाती, यदि हथियार को दूर रखा जाता, यदि किसी ने हस्तक्षेप कर “मजाक बंद करो” कह दिया होता — तो आज प्रताप सिंह सुरक्षित होता।
पुलिस आगे क्या कर रही है?
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जिगर के मोबाइल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकाले जा रहे हैं।
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हथियार की सप्लाई चेन की जांच हो रही है।
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यह पता लगाया जा रहा है कि पिस्टल पहले किन-किन लोगों के पास थी।
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प्रताप सिंह के शरीर से निकली गोली को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस अभी इस पूरे मामले को कई एंगल से देख रही है।
निष्कर्ष
उदयपुर का यह मामला सिर्फ एक पुलिस केस नहीं, बल्कि एक चेतावनी है —
हथियार किसी भी प्रकार का हो, उससे मज़ाक नहीं किया जा सकता।
तीन दोस्त हंसते हुए खेत पर गए थे, लेकिन घर लौटकर केवल दो ही पहुंचे—वह भी रोते हुए, अपराधबोध में डूबे हुए।
प्रताप सिंह देवड़ा की मौत ने एक बार फिर साबित किया कि
लापरवाही, चाहे कितनी भी छोटी क्यों न लगे, उसकी कीमत ज़िंदगी हो सकती है।



