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लखनऊ में पत्रकारों का फूटा गुस्सा: सुशील अवस्थी पर हमले के विरोध में प्रदर्शन तेज

पुलिस प्रशासन की सुस्ती पर सवाल, राजभवन चौराहे तक मार्च

विशेष संवाददाता : शैलेन्द्र यादव, सब तक एक्सप्रेस
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में पत्रकार सुशील अवस्थी पर हुए जानलेवा हमले के चार दिन बाद भी आरोपी गिरफ्तार न होने से पत्रकार समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा। मामले में पुलिस की सुस्ती और प्रशासन की चुप्पी से नाराज़ सैकड़ों पत्रकार आज हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर एकत्र हुए और जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

पत्रकारों का आरोप है कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि पुलिस “घोंघा एक्सप्रेस” की रफ्तार से आगे बढ़ रही है। चार दिन बाद भी कोई ठोस कार्रवाई न होते देख प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि “हमलावर कहाँ हैं?” लेकिन इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं था।

वरिष्ठ अधिकारियों की गैरमौजूदगी से भड़का आक्रोश

गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन शुरू हुआ तो उम्मीद थी कि वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचकर संवाद करेंगे, लेकिन किसी का न आना पत्रकारों के गुस्से में और इज़ाफ़ा कर गया। विरोध का कारवां शांतिपूर्वक मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ चला।

पुलिस ने बीच-बीच में पत्रकारों को रोकने और समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी डटे रहे। अंततः राजभवन कॉलोनी चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाकर रैली को रोका गया।

राजभवन चौराहे पर उबाल, फिर पहुंचा प्रशासन

राजभवन चौराहे पर नारेबाजी तेज हुई और सड़क विरोध मंच में बदल गई। आखिरकार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पंकज दीक्षित मौके पर पहुंचे और आश्वासन दिया कि हमलावर जल्द गिरफ्तार होंगे तथा उन पर गंभीर धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।

अधिकारी के भरोसे पर पत्रकारों ने प्रदर्शन समाप्त किया, लेकिन स्पष्ट चेतावनी भी दी—
अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो अगली बार केवल लखनऊ नहीं, पूरा प्रदेश सड़कों पर उतरेगा।
पत्रकारों ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास का घेराव दोबारा होगा और इस बार कोई बैरिकेडिंग उन्हें नहीं रोक सकेगी।

लोकतंत्र की रीढ़ पर हमला

दोपहर 12 बजे से शाम 3 बजे तक चला यह विरोध प्रदर्शन एक मजबूत संदेश देकर समाप्त हुआ—
“पत्रकार पर हमला, सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं… यह लोकतंत्र की रीढ़ पर वार है।”

अब सबकी नजर यूपी पुलिस पर है। पत्रकार समुदाय जानना चाहता है कि क्या पुलिस इस चोट को समझेगी या फिर अपराधियों की तरह सिस्टम भी लापता ही रहेगा।

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