
घोरावल, सोनभद्र | वरिष्ठ संवाददाता – राम अनुज धर द्विवेदी
घोरावल नगर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा प्रेम भक्ति ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या के बीच कथा का शुभारंभ व्यास पीठ की पूजा-अर्चना और आरती के साथ हुआ। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किया गया और भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया।
गोवर्धन लीला, रुक्मिणी विवाह और गृहस्थ आश्रम की महिमा का विस्तृत वर्णन
वृंदावन से पधारे सुप्रसिद्ध कथावाचक श्री ब्रजरस दास जी महाराज ने आज की कथा में गोवर्धन पूजा, देवराज इंद्र के अहंकार का मर्दन, श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह जैसे दिव्य प्रसंगों का मनोहर वर्णन किया।
कथा के दौरान उन्होंने गृहस्थ आश्रम की महत्ता पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा—
“भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है— ‘धन्यो गृहस्थ आश्रमः’ अर्थात गृहस्थ आश्रम धन्य है, जो सभी आश्रमों का आधार है।”
उन्होंने बताया कि—
- ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम का आधार गृहस्थ आश्रम ही है।
- स्वयं भगवान जब धरती पर अवतार लेते हैं तो वे भी मनुष्य की भांति गृहस्थ धर्म का पालन करते हैं।
- अग्निहोत्र, देवयज्ञ, संध्या-वंदन और विवाह जैसे संस्कार गृहस्थ जीवन की पवित्रता को दर्शाते हैं।
रुक्मिणी स्वयंवर और विवाह उत्सव से भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
श्री ब्रजरस दास जी महाराज ने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के प्रेम प्रसंग, रुक्मिणी के स्वयंवर तथा भगवान द्वारा रुक्मिणी-हरण का अत्यंत रोचक और भावपूर्ण वर्णन किया।
कथा के दौरान पंडाल में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह उत्सव मनाया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो गया।
भंडारे में बड़ी संख्या में भक्तों ने ग्रहण किया प्रसाद
कथा के उपरांत आयोजित भंडारे में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं और सभी ने प्रसाद ग्रहण कर दिव्यता का अनुभव किया।
सम्मानित लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे—
- पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश कुमार
- राजेश कुमार बबलू
- व्यापार मंडल अध्यक्ष दयाशंकर गुप्ता
- अरुण कुमार पांडेय, लवकुश केशरी, रमेश पांडेय
- बाबूलाल शर्मा, अशोक उमर
- कार्यक्रम संयोजक अशोक अग्रहरि
कथा स्थल पर भक्तों का बढ़ता उत्साह और भक्ति-भाव पूरे नगर में आध्यात्मिक वातावरण का संचार कर रहा है।



