डिजिटल भारत सुरक्षित रहेगा! ADGP यशस्वी यादव ने छेड़ा ‘जन-आंदोलन’

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मुंबई | इंद्र यादव
देश की तेज़ी से बढ़ती डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र साइबर विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। महाराष्ट्र साइबर के अपर पुलिस महानिदेशक (ADGP) यशस्वी यादव, आईपीएस ने साइबर सुरक्षा को केवल सरकारी अभियान नहीं, बल्कि एक व्यापक जन-आंदोलन का रूप दे दिया है। उनका स्पष्ट संदेश है—डिजिटल भारत की प्रगति में बाधा बनने वाले साइबर अपराधियों के खिलाफ अब निर्णायक कार्रवाई का समय आ चुका है।
ADGP यशस्वी यादव ने कहा कि साइबर सुरक्षा सिर्फ आईटी विभाग या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का सामूहिक और व्यक्तिगत दायित्व है। इसी सोच के तहत एक त्रि-आयामी सुरक्षा मॉडल तैयार किया गया है, जिसमें सरकार, शिक्षा व्यवस्था और टेक्नोलॉजी उद्योग की संयुक्त भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
तीन स्तंभों पर आधारित ‘साइबर कवच’
- सरकार: कठोर साइबर नीतियां और सख्त कानून
- शिक्षा व्यवस्था: स्कूल-कॉलेजों में साइबर जागरूकता और डिजिटल नैतिकता
- टेक इंडस्ट्री: सुरक्षित और भरोसेमंद तकनीक का विकास
डिजिटल चोरों पर कड़ा शिकंजा
‘साइबर कवच’ के तहत सुरक्षा को केवल सलाह नहीं, बल्कि अनिवार्य नियम बनाया गया है। प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं—
- सरकारी और बड़े संस्थानों में कम से कम 12 कैरेक्टर का मजबूत पासफ्रेज़ अनिवार्य
- सभी बैंकिंग और वित्तीय ऐप्स में OTP या बायोमेट्रिक सुरक्षा अनिवार्य
- फिशिंग SMS और कॉल करने वाले संदिग्ध नंबरों पर टेलीकॉम कंपनियों की त्वरित कार्रवाई
- सार्वजनिक Wi-Fi पर डेटा चोरी रोकने के लिए सुरक्षित VPN के उपयोग को बढ़ावा
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘प्राइवेट बाय डिफॉल्ट’ सेटिंग्स को प्रोत्साहन, ताकि ओवरशेयरिंग से बचा जा सके
डीपफेक बना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा
ADGP यादव ने चेतावनी दी कि साइबर अपराध अब केवल आर्थिक धोखाधड़ी तक सीमित नहीं रहे। डीपफेक वीडियो और फर्जी कंटेंट लोकतंत्र, राजनीति और सामाजिक सौहार्द के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी का फर्जी वीडियो बनाकर अफवाह फैलाना अब गंभीर राष्ट्रीय अपराध माना जाएगा।
एक घंटे में शिकायत, पैसे वापसी की उम्मीद
साइबर ठगी के शिकार लोगों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की गई है। यदि पीड़ित पहले एक घंटे के भीतर 24×7 साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करता है, तो तुरंत रिवर्सल एक्शन शुरू किया जाएगा। इससे ठगे गए पैसे वापस मिलने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।
मानव संसाधन भी मिशन का हिस्सा
- पाठ्यक्रम में डिजिटल नागरिकता और साइबर नैतिकता को शामिल किया जाएगा
- स्थानीय पुलिस द्वारा ‘साइबर सेवक’ और ‘डिजिटल वॉलिंटियर्स’ को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि खासकर बुजुर्गों और ग्रामीण क्षेत्रों तक सही जानकारी पहुंच सके
ADGP यशस्वी यादव ने कहा कि साइबर जागरूकता कोई एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवनशैली है। यह अभियान केवल तकनीकी सुरक्षा नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन है, जो हर नागरिक को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित भविष्य की गारंटी देता है।
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