
सब तक एक्सप्रेस | उदयपुर | रिपोर्टर – विशाखा व्यास
लवीना विकास सेवा संस्थान के संस्थापक एवं संचालक भरत कुमार पूर्बिया ने अपने जीवन से यह सिद्ध कर दिया है कि यदि नीयत साफ हो और सेवा का भाव हो, तो कोई भी काम छोटा नहीं होता। बचपन में पैसों के अभाव में उदियापोल डिपो की चाय की लारियों (थड़ियों) के पास रात गुजारने वाले पूर्बिया आज भी सादगी और सेवा की मिसाल बने हुए हैं।
भरत पूर्बिया का मानना है कि श्रम में कभी शर्म नहीं होनी चाहिए। आज भी जब जरूरत होती है, वे झाड़ू लगाने से लेकर सब्जी बेचने तक के कार्यों में खुद को संकोच नहीं करते। हाल ही में शहर के प्रमुख चौराहों पर उन्हें थैले पर किकोडे बेचते देखा गया, तो हर कोई हैरान रह गया — एक समाजसेवी, जो बिना दिखावे के जीवन यापन के लिए हर काम को ईमानदारी से करता है।
वे कहते हैं, “जब कोई साथ नहीं होता था, तब दफ्तरों के चक्कर अकेले नहीं, बल्कि जरूरतमंदों को साथ लेकर लगाता था। अब भी जब कोई काम करने वाला नहीं मिलता, तो खुद ही काम संभाल लेता हूँ।”
गरीबी से उपजे अनुभवों ने उन्हें ज़मीन से जोड़े रखा है। उनकी कहानी युवाओं के लिए यह संदेश देती है कि किसी भी परिस्थिति में हार मानना सही नहीं, बल्कि कठिनाइयों को स्वीकार कर उनसे आगे बढ़ना ही सच्चा साहस है।
भरत पूर्बिया की ये जीवटता और सेवा भावना समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।