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हरित भविष्य की ओर मित्राय फाउंडेशन का कदम: खातीपुरा रेलवे स्टेशन और पार्क में वृक्षारोपण एवं वितरण कार्यक्रम आयोजित

सब तक एक्सप्रेस | जयपुर | संवाददाता

मित्राय बी ह्यूमन इंडिया फाउंडेशन द्वारा पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के तहत बुधवार, 23 जुलाई को खातीपुरा रेलवे स्टेशन परिसर एवं पार्क में वृक्षारोपण एवं वृक्ष वितरण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया।

वर्ष 2011 से सामाजिक और पर्यावरणीय कार्यों में सक्रिय मित्राय संस्था अब तक 55,000 से अधिक वृक्ष और 49,000 से अधिक पक्षियों के दाना पात्र व परिंडे स्थापित कर चुकी है। संस्था की यह पहल “मेरा वृक्ष – मेरा भाई” अभियान के अंतर्गत चलाई जा रही है, जो समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सहभागिता को बढ़ावा देती है।

कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य जुबिन शर्मा द्वारा विधिवत वृक्ष पूजन के साथ की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री शशि किरण (मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी), श्री गौरव गौड़ (अपर मंडल रेल प्रबंधक), श्री सतीश मीणा (वरिष्ठ मंडल इंजीनियर), श्री हिमांशु कुलदीप (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) सहित कई रेलकर्मी और मित्राय टीम के सदस्य उपस्थित रहे।

श्री शशि किरण ने कहा, “पेड़ जीवन, विकास, शक्ति और स्थिरता का प्रतीक हैं। वृक्षों के माध्यम से हम प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाए रख सकते हैं।”

श्री हिमांशु कुलदीप ने अपने संबोधन में कहा, “आज देश भीषण गर्मी, बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। ऐसे में अधिक से अधिक वृक्षारोपण ही पर्यावरण संतुलन और हमारी सुरक्षा का एकमात्र उपाय है।” उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की प्रतिज्ञा लेने का आह्वान भी किया।

संस्था के फाउंडर डॉ. विनीत शर्मा ने बताया कि मित्राय फाउंडेशन वर्षों से राजस्थान भर में पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, जीव-जंतु कल्याण, गौ सेवा, स्किल डेवलपमेंट, और जरूरतमंदों के लिए वस्त्र, दवा और भोजन वितरण जैसे सेवा प्रकल्प चला रही है। उनका उद्देश्य वर्तमान पर्यावरण को इस तरह संरक्षित करना है कि आने वाली पीढ़ियां भी इसका अनुभव कर सकें।

योग गुरु रश्मि शर्मा ने भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा साझा करते हुए कहा कि रेलवे के सहयोग से आने वाले समय में अन्य स्टेशनों और कॉलोनियों में भी वृक्षारोपण अभियान प्रस्तावित हैं।

यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण में सामाजिक सहभागिता और सरकारी सहयोग का एक आदर्श उदाहरण बनकर सामने आया है, जो दिखाता है कि सामूहिक प्रयासों से ही हरित और सुरक्षित भविष्य की नींव रखी जा सकती है।

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