राजसमंद में श्रमिक पिता को पांच बेटियों ने दिया कंधा, समाज में बदलाव की मिसाल

सब तक एक्सप्रेस | भीम (राजसमंद) | रिपोर्टर – सुनील कुमार मिश्रा
राजसमंद जिले के भीम उपखंड के समीप समेलिया गांव में बुधवार को एक मार्मिक और समाज को सोचने पर मजबूर कर देने वाली घटना सामने आई, जब 37 वर्षीय श्रमिक डाऊ राम रेगर के निधन के बाद उनकी पांच बेटियों ने अपने पिता को कंधा देकर अंतिम संस्कार किया।
आमतौर पर बेटियों द्वारा अंतिम संस्कार की खबरें शहरी और संपन्न परिवारों से ही सुनने को मिलती हैं, लेकिन यह घटना एक गरीब किसान एवं श्रमिक परिवार से है, जिसने समाज में लिंग भेद और परंपरागत सोच पर गहरी चोट की है।
डाऊ राम के निधन की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। पांचों बेटियां—रेखा (19), पायल (17), विद्या (16), प्रतिज्ञा (9) और कृष्णा (6) — का विलाप गांववालों की आंखें नम कर गया। जब अंतिम संस्कार का समय आया, तो पूर्व प्रधानाचार्य एवं शिक्षाविद मोहनलाल उदेनिया ने बेटियों को अपने पिता को कंधा देने के लिए प्रेरित किया। बेटियों ने साहस दिखाते हुए इस परंपरागत कार्य को निभाया और समाज को नारी शक्ति का सशक्त संदेश दिया।
अब बेटियों के सपनों का क्या होगा?
डाऊ राम के पास थोड़ी सी जमीन थी और वे कृषि, पशुपालन और दिहाड़ी मजदूरी के सहारे अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। उनके असमय निधन से परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है। बेटियों की शिक्षा और भविष्य अब सवालों के घेरे में है।
समाज ने दिखाई संवेदनशीलता
डाऊ राम के अंतिम संस्कार के बाद समाजजनों ने पूर्व महासभा अध्यक्ष मोहनलाल उदेनिया की प्रेरणा से ₹35,000 की नकद सहायता राशि एकत्र कर पीड़ित परिवार को सौंपी। यह सहयोग बेटियों के प्रति समाज की संवेदनशीलता और जागरूकता को दर्शाता है।
यह घटना न सिर्फ नारी सशक्तिकरण की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अगर समाज एकजुट हो, तो किसी भी परिवार की मुश्किलें आसान की जा सकती हैं। अब ज़रूरत है कि प्रशासन और समाज मिलकर इन बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और भविष्य को संवारने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।
सब तक एक्सप्रेस भी इस पहल के लिए प्रशासन, समाजसेवियों और पाठकों से आह्वान करता है कि इस परिवार को हर संभव सहायता दी जाए, ताकि इन बेटियों के सपनों को भी उड़ान मिल सके।