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राजकीय भूमि पर भू-माफियाओं की नज़र, मंदिर की आड़ में अवैध कब्ज़े का प्रयास

सब तक एक्सप्रेस | रिपोर्टर – अजमेर ज़िला ब्यूरो

अजमेर (नसीराबाद)। जिले की नसीराबाद तहसील के ग्राम रामसर स्थित राजकीय पशु प्रजनन फार्म इन दिनों भू-माफियाओं की साज़िशों का शिकार बना हुआ है। लगभग 1425 बीघा भूमि, जो वर्ष 1961 से पशुपालन विभाग के नाम आवंटित है, उस पर अब अतिक्रमण और कब्ज़े के गंभीर प्रयास हो रहे हैं, जिनमें प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

यह भूमि मूल रूप से गीर नस्ल के पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से पशुपालन विभाग को आवंटित की गई थी, जिसकी चारदीवारी और रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से विभाग के नाम दर्ज है। किंतु हाल के वर्षों में भू-अन्याय के खेल ने इस जमीन को विवादित बना दिया है।

मंदिर की आड़ में चालबाज़ी

वर्तमान राजस्व रिकॉर्ड में संशोधन त्रुटि के चलते फार्म की तारबंदी के अंदर स्थित भूमि को बृजराज जी भगवान मंदिर की भूमि के रूप में दर्ज कर दिया गया है। इस त्रुटि का फायदा उठाकर रामसर के कुछ स्थानीय भू-माफिया — जो खनन व्यवसाय से जुड़े हैं — मंदिर के नाम पर इस भूमि को कब्ज़ाने और फार्म के भीतर घुसपैठ करने का प्रयास कर रहे हैं।

पिछले वर्ष बिना किसी पूर्व सूचना के सीमाज्ञान करवाया गया और वर्षा ऋतु में जुताई-बुवाई का कार्य भी शुरू कर दिया गया। फार्म प्रशासन की शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब विधायक और मंत्री के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज हुआ।

इस वर्ष फिर दोहराया गया प्रयास

21 जुलाई 2025 को श्रावण मास के अवसर पर भू-माफियाओं ने एक बार फिर शिव मंदिर को बृजराज जी भगवान मंदिर घोषित कर फार्म में प्रवेश की अनुमति मांगी। उपखण्ड अधिकारी नसीराबाद ने बिना विधिवत प्रक्रिया के फार्म प्रशासन को मौखिक निर्देश देकर प्रवेश की अनुमति दे दी।

इस दौरान न केवल जलधारा की गई बल्कि मंदिर के मूल स्वरूप में बदलाव करते हुए श्रीकृष्ण की मूर्ति की स्थापना कर दी गई — जिसे मीडिया में “बृजराज जी भगवान मंदिर” के रूप में प्रचारित किया गया।

पीछे छिपा है बड़ा खेल

इस भूमि के भीतर एक कीमती पत्थर की खान स्थित है और यही असली मंशा उजागर करती है। मंदिर के बहाने रास्ता बनाकर अवैध खनन करना भू-माफियाओं का मुख्य उद्देश्य प्रतीत होता है।

प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल

वर्तमान घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन, विशेषकर राजस्व व पुलिस विभाग, भू-माफियाओं के दबाव में कार्य कर रहा है या फिर जानबूझकर मूक दर्शक बना हुआ है।

यदि समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो न केवल राजकीय भूमि पर कब्ज़ा हो जाएगा, बल्कि पशुपालन विभाग की वर्षों की मेहनत पर भी पानी फिर जाएगा।

जनता की मांग:

  • विवादित सीमाज्ञान की उच्च स्तरीय जांच हो
  • मंदिर के नाम पर अतिक्रमण के प्रयासों पर रोक लगे
  • राजकीय भूमि को सुरक्षित रखने हेतु पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए
  • खनन गतिविधियों की निगरानी हो और अवैध कार्यों पर कठोर कार्रवाई की जाए

“राजकीय संसाधनों को मंदिर की आड़ में लूटने नहीं दिया जाएगा — यही लोकतंत्र की असली कसौटी है।”

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