सुशीला कार्की ने नेपाल के प्रधानमंत्री बनने से मना किया, क्या कुलमन घिसिंग सत्ता संकट हल करेंगे?

सुशीला कार्की ने पीएम बनने से किया इनकार
नेपाल की उच्च न्यायालय की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। इस निर्णय ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। उनके इनकार के पीछे के कारणों पर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं।
नेपाल में राजनीतिक स्थिति
नेपाल की राजनीति पिछले कुछ वर्षों में काफी अस्थिर रही है। सरकार में बदलाव, भ्रष्टाचार के मामले और संसदीय चुनावों के आसपास के विवाद आम हो गए हैं। ऐसे माहौल में, सुशीला कार्की का प्रस्तावित पीएम बनना एक महत्वपूर्ण बात थी। लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को डर के बजाय अपनी प्राथमिकताओं और सिद्धांतों की प्राथमिकता देते हुए ठुकरा दिया।
कुलमन घिसिंग की भूमिका
बिजली संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुलमन घिसिंग को अब एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कार्की के इनकार के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या घिसिंग सत्ता के संकट को सुलझा पाएंगे। उन्हें पूर्व में अपने काम के लिए प्रशंसा मिली है, और राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि वे इस नई चुनौती का सामना कर सकते हैं।
सुशीला कार्की की प्रशंसा
सुशीला कार्की ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। उन्होंने यह बताया कि नेपाल के लिए महत्वपूर्ण है कि भारत विरोधी तत्वों के हाथों में चीजें न जाएं, जो देश की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। कार्की का बयान इस बात का संकेत है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के प्रति कितनी गंभीर हैं।
‘जेन-जी ग्रुप’ की मांग
वर्तमान में ‘जेन-जी ग्रुप’ संसद भंग करने और संविधान में संशोधन की मांग कर रहा है। इस प्रदर्शन में अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है। यह स्थिति सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि राजनीतिक असंतोष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कार्की के इनकार और ऐसे आंदोलनों की पृष्ठभूमि में, राजनीतिक अस्थिरता का खतरा अधिक बढ़ सकता है।
बालेंद्र शाह का समर्थन
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बालेंद्र शाह ने सुशीला कार्की को पूरा समर्थन देने की बात कही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पीएम का पद ठुकराते हुए क्यों आगे नहीं बढ़ीं और उनके विचारों को कितना महत्व देते हैं। यह समर्थन दिखाता है कि कार्की की राजनीतिक स्थिति को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है।
संविधान और राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल का संविधान भी इस वक्त कई बदलावों के दौर से गुजर रहा है। ‘जेन-जी ग्रुप’ की मांगें इसे और जटिल बना रही हैं। संविधान में संशोधन के लिए आम सहमति आवश्यक है, और इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच आपसी संघर्ष है। इससे नेपाल की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
निष्कर्ष
सुशीला कार्की का पीएम बनने से इनकार और कुलमन घिसिंग की संभावित भूमिका, नेपाल की राजनीतिक स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नेपाल को एक योग्य नेता की आवश्यकता है, जो इस प्रकार की राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर सके। जैसे-जैसे परिस्थिति जटिल होती जा रही है, भविष्य में नेपाल कैसे उभरेगा, यह देखना होगा। राजनीतिक अस्थिरता और संवैधानिक संकट के बीच, देश को एक स्थिर दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
कार्की के नेतृत्व और घिसिंग की सलाहकार भूमिका इस बदलाव में महत्वपूर्ण हो सकती है। आगे देखना होगा कि कैसे ये घटनाक्रम नेपाल की राजनीति को नए आयाम देते हैं।