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पिहू ने आईसीयू में आखिरी जन्मदिन पर कहा, “पति की यादें सबको रोने पर मजबूर करती हैं”

ICU में अंतिम जन्मदिन: एक भावपूर्ण विदाई

एक ऐसा दृश्य जिसने हर दिल को छू लिया — छोटी सी बच्ची पीहू ने अपने अंतिम जन्मदिन को अस्पताल के ICU में अपने परिवार के बीच मनाया। एक गंभीर बीमारी से जूझते हुए भी उसने हार नहीं मानी। उसकी हिम्मत और मुस्कान ने सभी को दिखा दिया कि जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों में भी प्रेम और साहस कैसे साथ रहते हैं।

जब परिवार उसके पास इकट्ठा हुआ, तो वातावरण में एक साथ दुःख और खुशी का मिश्रण था। पीहू के पिता ने अपने आँसू छुपाते हुए एक वादा किया – “मैं तुम्हारी आखिरी इच्छा पूरी करूँगा।” पीहू ने हंसते हुए कहा था, “पापा, केक लाना,” और यही छोटा सा वाक्य उनके लिए एक अमूल्य याद बन गया। यह चाहत किसी बड़ी चीज़ की नहीं, बस जीवन का जश्न मनाने की थी, चाहे समय कितना भी कम क्यों न हो।

प्यार से भरा जश्न

ICU के कमरे को परिवार ने प्यार से सजाया। गुब्बारे लगाए गए, केक की खुशबू कमरे में फैली, और डॉक्टर-नर्स भी उसकी मुस्कान देखकर एक पल के लिए अपनी व्यस्तता भूल गए। यह कोई सामान्य जन्मदिन नहीं था, यह जीवन का उत्सव था, जिसमें पीहू की हिम्मत सबसे बड़ी प्रेरणा बन गई।

जब परिवार ने “हैप्पी बर्थडे” गाया, तो हर सुर में छिपे भाव झलक रहे थे। डर, आशंका और प्यार — सब एक साथ कमरे में तैर रहे थे। पीहू की मासूम हंसी ने कुछ समय के लिए दर्द को पीछे कर दिया। वह अपने दुर्बल शरीर के बावजूद ऐसी चमक बिखेर रही थी, जैसे कह रही हो — “जिंदगी जितनी है, उतनी ही खास है।”

केक पर जलती मोमबत्तियाँ सिर्फ एक साल और जोड़ने का प्रतीक नहीं थीं, बल्कि हर साझा पल की अहमियत को दर्शा रही थीं। जब पीहू ने आँखें बंद कर मोमबत्तियाँ बुझाईं, तो उसने खुद के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवार की खुशी के लिए प्रार्थना की। यह दृश्य सबके दिल में एक गहरी छाप छोड़ गया।

यादों का खजाना

उस दिन हर हंसी, हर आँसू, हर नज़र पीहू के जीवन के सबक बन गए। उसने परिवार को सिखाया कि कठिन समय में भी प्यार और मुस्कान सबसे बड़ा सहारा हैं। उसकी बेपनाह ऊर्जा ने सबको यह एहसास दिलाया कि जीवन का अर्थ बस जीते रहना नहीं, बल्कि हर पल को महसूस करना है।

परिवार के सदस्य उसकी शरारतें, उसकी संगीत पसंद, उसकी नटखट बातें साझा करते रहे। हर कहानी में उसकी मुस्कान और उसकी जिंदादिली झलकती रही। उसकी माँ ने धीरे से कहा, “हम उसे खो सकते हैं, लेकिन उसकी आत्मा हमेशा हमारे साथ रहेगी।”

आशा का संदेश

जीवन के अंतिम क्षणों में कई भाव उमड़ते हैं — डर, दुःख, पर साथ ही आशा भी। पीहू की यात्रा ने दिखाया कि कैसे कठिनाई में भी प्रेम की लौ बुझती नहीं। उस दिन परिवार और दोस्तों ने महसूस किया कि हर रिश्ते को संजोना, हर क्षण का मूल्य समझना और करुणा फैलाना कितनी बड़ी बात है।

पीहू के पिता ने उसके जाने से पहले एक पुरानी याद साझा की — परिवार का समुद्र किनारे जाना, जहाँ सब साथ हंसते-खेलते थे। “जो भी हो,” उन्होंने कहा, “हम साथ बिताए हर पल को अपने दिल में संजोकर रखेंगे।”

पीहू का अंतिम जन्मदिन सिर्फ उत्सव नहीं था; यह जीवन की ताकत का प्रमाण था। अंधेरे में भी प्रेम ही सबसे बड़ा सहारा है।

अंतिम विदाई

रात गहराई और वह कमरा, जो कुछ समय पहले हंसी से गूंज रहा था, अब शांत और भावनाओं से भर गया। परिवार एक-दूसरे से लिपटा रहा। हर पल मानो एक याद बनता जा रहा था। पीहू की माँ और पिता ने उसे प्यार से घेर लिया और धीरे-धीरे विदा कहा।

पीहू ने शब्दों से नहीं, अपने शांत और मासूम मुस्कान से सबको जवाब दिया। उसकी आँखों में सिर्फ प्रेम था, जैसे वह कह रही हो — “मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी।”

उस कमरे में जीवन की अस्थायीता साफ दिखाई दी। पर पीहू की कहानी सिर्फ एक विदाई नहीं, बल्कि साहस, प्रेम और इंसानियत का उत्सव बन गई। उसके जाने के बाद भी उसकी यादें सबके दिलों में जीवित रहेंगी।


आज की दुनिया में, जहाँ समय और परिस्थितियाँ हमें अलग कर देती हैं, ऐसे पलों को संजोना जरूरी है। पीहू भले ही इस दुनिया से चली गई, लेकिन उसका प्यार और उसका हौसला हमेशा लोगों के दिलों में रहेगा। उसका अंतिम जन्मदिन हमें याद दिलाता है — जीवन की सबसे बड़ी ताकत रिश्तों में, प्रेम में और साझा क्षणों में छिपी होती है।

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