
सब तक एक्सप्रेस / ब्यूरो रिपोर्ट।
जयपुर। राज्य के पशुपालन विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी कैलाश चंद्र कौशिक ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी पेंशन और सेवा संबंधी लाभ पिछले 12 वर्षों से घोटाले की भेंट चढ़े हुए हैं।
कौशिक का आरोप है कि तत्कालीन पशु चिकित्सा निदेशक डॉ. उदय कृष्ण थानवी ने उनकी सर्विस बुक में फर्जी अनुपस्थिति (फरवरी 1993 से जुलाई 1993 तक) दर्ज करवा दी, जबकि उस अवधि में वे नियमित रूप से ड्यूटी पर थे और वेतन भी प्राप्त कर चुके थे। इस कथित हेरफेर से उनकी सेवा अवधि प्रभावित हुई और पेंशन लाभों से उन्हें वंचित कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्रमाण स्वरूप हाजिरी रजिस्टर, वेतन भुगतान की रसीदें, उपचार संबंधी मेडिकल रिकॉर्ड और ग्राम पंचायत कार्यालय, बालेर की उपस्थिति पंजिका उपलब्ध हैं। बावजूद इसके, विभागीय अधिकारियों ने तथ्यों को छिपाकर गलत कार्रवाई की और सेवानिवृत्ति (मई 2013) के बाद भी उन्हें पेंशन लाभ नहीं दिए।
कौशिक ने आरोप लगाया कि यह एक व्यक्ति का ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार तबाह करने वाला षड्यंत्र है। इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव, शासन सचिव डॉ. समित शर्मा, निदेशक डॉ. आनंद सेजरा और संबंधित जिला कलेक्टरों को बार-बार अवगत कराया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार विभाग के उच्च स्तर पर संगठित तरीके से किया गया है, जिसमें अधिकारी न केवल घोटाले में शामिल हैं बल्कि वर्षों से फाइल दबाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं।
भुक्तभोगी कर्मचारी का सवाल है कि –
👉 “आखिर कब मिलेगी न्याय? क्या इन धूर्त अधिकारियों पर कभी कार्रवाई होगी या यह मामला महज कहावत बनकर रह जाएगा?”