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हिंदी दिवस पर साहित्यिक गोष्ठी में कवियों ने बिखेरी अपनी छटा

वरिष्ठ संवाददाता – राम अनुज धर द्विवेदी
सब तक एक्सप्रेस

सोनभद्र। दयानंद साहित्य संस्थान के तत्वावधान में रविवार अपराह्न कचहरी परिसर में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वाणी वंदना, वाग्देवी के चित्र पर माल्यार्पण और दीपदान के साथ हुआ।

ओज एवं श्रृंगार की कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने “दिनकर भूषण चंद की धार, सरहद की निगहबान है हिंदी” जैसी रचना से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री दिव्या राय ने हिंदी की स्थिति पर व्यथा प्रकट करते हुए “घुट-घुट कर मैं जी रही हूँ, खून के आंसू पी रही हूँ” सुनाकर सबका मन मोह लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि प्रभात सिंह चंदेल ने राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कविता “जय जगत जननी जनम भू वीर मातु वसुंधरा” प्रस्तुत की। वहीं हास्य कवि सुनील चौचक ने अपनी रचना “बासी भात पर बेना जिनि हौंका, बनल बाप के बिगरल बेटवा” सुनाकर सभा को ठहाकों से गूंजा दिया।

गीतकार दिलीप सिंह दीपक ने देशप्रेम से जुड़ी नसीहत भरी रचना “बुजुर्गों ने लहू देकर रखी है आबरू इसकी, तुम सब कुछ बेंच दो लेकिन हिंदुस्तान मत बेचो” सुनाकर सत्ता और समाज को संदेश दिया। राष्ट्रवाद के प्रखर स्वर प्रदुम्न त्रिपाठी एड. ने “बंदूक तोप खंजर की बात मत करिये, खूनी मंजर की बात मत करिये” प्रस्तुत कर समरसता का संदेश दिया।

शायर अशोक तिवारी ने “खौफ है नहीं कोई धूप में नहाने से”, कवि जय राम सोनी ने लोकभाषा में “नीमन नीमन बाति सुना के आगि लगवला पानी में”, जबकि कवि दिवाकर मेघ ने “आदमी के पास से अब जा रहा है आदमी” जैसी रचनाओं से सभी को प्रभावित किया।

कार्यक्रम के संयोजक दयानंद दयालू ने पर्यावरण विषयक काव्य प्रस्तुत किया, वहीं धर्मेश चौहान एड. ने हास्य और देशभक्ति से जुड़ी रचनाओं के माध्यम से समां बांध दिया। राकेश शरण मिश्र ने “रक्खो खुद हौसला दिल में वह मंजर भी आयेगा” सुनाकर आशावादी दृष्टिकोण रखा, जबकि सुधाकर पांडेय स्वदेश प्रेम ने “तिरंगे में सजे अर्थी बजे धुन राष्ट्र गीतों की” सुनाकर देशभक्ति की लहर जगा दी।

सोन संगीत फाउंडेशन प्रमुख सुशील मिश्रा ने वीर सैनिकों को समर्पित गीत प्रस्तुत कर महफ़िल को भावनाओं से सराबोर कर दिया।

गोष्ठी देर शाम तक चली, जिसमें ऋषभ तिवारी, अनीषा चौहान, हर्ष चौहान, फारुख अली, गोपाल मोदनवाल, पुरुषोत्तम कुशवाहा, ठाकुर मौर्य, जयशंकर त्रिपाठी एड., संदीप शुक्ल एड., देवानंद पांडेय एड. सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे और कवियों की रचनाओं पर जमकर दाद दी।

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