“जब मौत बन गई रेल की पटरियां: भोजन की तलाश में निकला भालू बना शिकार”

उमरिया ब्यूरो चीफ राहुल शीतलानी
उमरिया। जिले के घुनघुटी रेलवे स्टेशन के पास एक दर्दनाक हादसे में जंगली भालू की मौत हो गई। देर रात थर्ड रेलवे लाइन (930/17ए) पार करते समय तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से भालू कटकर मर गया। सुबह जब स्थानीय ग्रामीणों ने शव देखा तो तत्काल वन विभाग को सूचना दी गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गई है।
यह इलाका बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट से सटा हुआ है, जहां अक्सर जंगली जानवरों का मूवमेंट देखा जाता है। हाल के दिनों में भोजन और पानी की तलाश में जानवरों का रुख गांव और आबादी वाले इलाकों की ओर बढ़ गया है। माना जा रहा है कि हादसे का शिकार हुआ भालू भी भोजन की तलाश में ट्रैक पार कर रहा था।
घटना से ग्रामीणों में आक्रोश और चिंता दोनों देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि लगातार हाथी, भालू और हिरण जैसे वन्यजीव रेलवे ट्रैक पर कटकर अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन न तो रेलवे विभाग और न ही वन विभाग ने अब तक कोई ठोस कदम उठाए हैं। यहां चेतावनी संकेतक और बैरिकेड की व्यवस्था तक नहीं की गई है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि जंगलों के सिकुड़ने और भोजन की कमी का परिणाम है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक प्राकृतिक आवास सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। दूसरी ओर रेलवे प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि वन क्षेत्र से गुजरने वाले ट्रैकों पर स्पीड लिमिट और सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता है।
फिलहाल वन विभाग ने भालू के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं, स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी मांग कर रहे हैं कि रेलवे और वन विभाग मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाएं।
👉 सवाल यह है कि कब तक विकास की रफ्तार की बलि वन्यजीवों को चढ़ना पड़ेगा?