प्रहलाद पटेल ने ‘परिक्रम’ में 30 साल के अनुभव साझा किए, पुस्तक का विमोचन मोहन भागवत ने किया।

प्रहलाद पटेल की ‘परिक्रम’ पुस्तक और मोहन भागवत की विशेष उपस्थिति
प्रहलाद पटेल ने हाल ही में अपनी पुस्तक ‘परिक्रम’ का विमोचन किया, जिसमें उन्होंने 30 वर्षों के अपने अनुभवों को साझा किया है। पुस्तक का विमोचन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने किया, जो इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। यह पुस्तक न केवल प्रहलाद पटेल की यात्रा का वर्णन करती है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है।
मोहन भागवत का दृष्टिकोण
इस अवसर पर मोहन भागवत ने एक विशेष भाषण दिया जिसमें उन्होंने समाज के समग्र विकास और एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए और एक-दूसरे के विचारों को समझने तथा स्वीकार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें उन सभी लोगों से मिलना चाहिए जो विभाजित हैं, ताकि हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।
भारत का वैश्विक नेतृत्व
भागवत ने भारत को एक ऐसे देश के रूप में प्रस्तुत किया जिसने वैश्विक स्तर पर कई विफलताओं को सफलताओं में बदल दिया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे भारत ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी स्थिति को मजबूत किया है। उनका मानना है कि भारत को इस दिशा में और आगे बढ़ना चाहिए और दुनिया को अपनी नेतृत्व क्षमता का अहसास कराना चाहिए।
‘परिक्रम’ की विशेषताएँ
पुस्तक ‘परिक्रम’ में प्रहलाद पटेल ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया है, जिसमें उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया है। यह पुस्तक केवल एक आत्मकथा नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा स्रोत के रूप में भी कार्य करती है। पटेल ने अपने लेखन के माध्यम से यह संदेश दिया है कि कैसे व्यक्ति की मेहनत और संघर्ष से एक सकारात्मक बदलाव संभव है।
समाज के प्रति जिम्मेदारी
प्रहलाद पटेल ने इस पुस्तक के माध्यम से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी उजागर किया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने समाज के उत्थान में योगदान देना चाहिए और अपने कौशल का उपयोग समाज की भलाई के लिए करना चाहिए।
भविष्य की दिशा
भविष्य में, मोहन भागवत और प्रहलाद पटेल जैसे नेताओं का योगदान समाज के विकास में और महत्वपूर्ण होगा। इस प्रकार की पुस्तकें और विचारधाराएँ हमारे समाज को एक दिशा प्रदान करती हैं और लोगों को एकजुट करने का काम करती हैं।
अंत में
प्रहलाद पटेल की ‘परिक्रम’ न केवल उनकी यात्रा का दस्तावेज है, बल्कि यह समाज के लिए एक मार्गदर्शिका भी है। मोहन भागवत द्वारा पुस्तक का विमोचन इस बात का प्रमाण है कि कैसे नेतृत्व और व्यक्तिगत अनुभव मिलकर समाज की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।
इस प्रकार, भारत के नेताओं की दृष्टि और प्रयास हमें एकजुट होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। ‘परिक्रम’ पुस्तक को पढ़ना और इसका संदेश समझना हमारे लिए जरूरी है, ताकि हम सब मिलकर एक समृद्ध और एकजुट समाज का निर्माण कर सकें।