अनपरा की हवा पर उठा सवाल: रिपोर्ट में “सबसे स्वच्छ”, हकीकत में धूल-धुआं से बेहाल

अनपरा/सोनभद्र, ब्यूरो रिपोर्ट-सतीश पांडेय
अनपरा की हवा पर ताज़ा सरकारी रिपोर्ट ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में अनपरा को प्रदेश में पहले स्थान पर बताया गया है, जबकि स्थानीय हालात ठीक इसके उलट हैं। रोज़ाना उड़ती धूल, फैली राख और फैक्ट्रियों से निकलता धुआं यहां की हवा को इतना जहरीला बना चुका है कि विशेषज्ञ इसे नौ सिगरेट पीने के बराबर प्रदूषण मान रहे हैं।
कागज़ी रिपोर्ट बनाम ज़मीनी सच्चाई
बारिश के मौसम में भी अनपरा की हवा दूषित रही, लेकिन सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इसे “सबसे स्वच्छ” बता दिया गया। इस पर स्थानीय नागरिकों ने तीखा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह रिपोर्ट वास्तविकता को नहीं दर्शाती, बल्कि पैसे और प्रभाव के दम पर तैयार कराई गई है। लोगों ने इस रिपोर्ट को हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि “जिस हवा में सांस लेना तक मुश्किल हो, उसे नंबर वन बता देना जनता के साथ मज़ाक है।”
दिल्ली से भी खराब हालात
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि कई दिनों तक अनपरा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 के पार रहा, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। कुछ दिनों में तो यह दिल्ली जैसे महानगर से भी ज्यादा खराब दर्ज हुआ।
नागरिकों का आक्रोश
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि नगर पंचायत लगातार कागज़ी उपलब्धियां दिखाकर फर्जी रिपोर्ट हासिल करती है। नागरिकों ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
प्रदूषण के मुख्य कारण
- कोयला आधारित बिजलीघर और औद्योगिक संयंत्र
- खुले में कोयले व राख का परिवहन
- भारी वाहन व खनन गतिविधियाँ
- सड़कों पर उड़ती धूल और अव्यवस्थित ट्रैफिक
निष्कर्ष
अनपरा की हवा की हकीकत और रिपोर्ट में दिखाए गए “नंबर वन” के बीच का यह बड़ा विरोधाभास न केवल स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठाता है बल्कि स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की पारदर्शिता को भी कटघरे में खड़ा करता है। जनता की मांग है कि वास्तविकता को आधार बनाकर कदम उठाए जाएं, न कि कागज़ी रिपोर्टों से लोगों को गुमराह किया जाए।