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जयपुर/बारां। संवाददाता।
राजस्थान के बारां जिले से चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। राजपुरा गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त शिक्षक दंपति विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग करीब 25 वर्षों से स्कूल में पढ़ाने नहीं पहुंचे, लेकिन हर महीने वेतन लेते रहे। अब शिक्षा विभाग ने दोनों पर करीब 9 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया है। साथ ही विष्णु गर्ग का सेवानिवृत्ति आदेश भी निरस्त कर दिया गया है।
मामला कैसे खुला?
21 दिसंबर 2023 को स्कूल में छापेमारी के दौरान तीन स्टेपनी शिक्षक पढ़ाते हुए पकड़े गए, जबकि मूल रूप से नियुक्त शिक्षक दंपति वर्षों से अनुपस्थित थे। जांच में पाया गया कि दोनों अपने स्थान पर निजी लोगों से पैसे देकर पढ़ाई करवा रहे थे और खुद स्कूल नहीं आते थे।
कितनी राशि वसूली जाएगी?
- विष्णु गर्ग: 1997-98 से 2023-24 तक कुल 84 लाख रुपये वेतन, ब्याज जोड़कर 4.92 करोड़ रुपये वसूली योग्य।
- मंजू गर्ग: 1999-2000 से 2023-24 तक कुल 82.48 लाख रुपये वेतन, ब्याज सहित 4.38 करोड़ रुपये वसूली योग्य।
कुल मिलाकर दोनों पर 9 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली तय की गई है। 28 अगस्त 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) सीताराम गोयल ने वसूली आदेश जारी किया, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
सेवानिवृत्ति आदेश भी रद्द
विष्णु गर्ग ने 2024 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी, लेकिन विभागीय जांच लंबित होने के चलते आदेश रद्द कर दिया गया। निलंबन की स्थिति में उनकी पेंशन और अन्य लाभों पर भी रोक लगा दी गई है।
जांच में मिले पुख्ता सबूत
शिक्षा निदेशालय, बीकानेर के संयुक्त निदेशक स्वयं गांव पहुंचे और ग्रामीणों, छात्रों व कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। पकड़े गए स्टेपनी शिक्षक—विष्णु भारद्वाज, खुशबू मीणा और सुगना मीणा—ने कबूल किया कि उन्हें पढ़ाने के बदले पैसे दिए जाते थे और फर्जी उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज की जाती थी।
इस पूरे प्रकरण ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई की संभावना है।