नवरात्रि–दीपावली : सोने में निवेश बनाम शेयर बाज़ार निवेश | त्योहारों के मौसम में…

दिवाली की उलटी गिनती शुरू हो गई है। बाजार धीरे-धीरे सजने लगे हैं और लोग कपड़े तथा सजावट की खरीदारी में व्यस्त हैं। किंतु इसके साथ ही, एक और तरह की खरीदारी का रुझान भी तेजी से बढ़ रहा है, और वह है निवेश की खरीदारी।
यदि आपने इस दिवाली निवेश करने का विचार अभी तक नहीं किया है, तो यह जान लें कि अभी निवेश प्रारंभ करना आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। यदि आप नौकरीपेशा हैं, तो इस दिवाली आपको बोनस भी मिल सकता है, जो निवेश प्रारंभ करने में सहायक होगा।
त्यौहारों का समय केवल खर्च करने का ही नहीं, बल्कि निवेश प्रारंभ करने का भी उत्तम अवसर होता है। कंपनियाँ अक्सर इस समय विशेष योजनाएँ और आकर्षक ऑफ़र लाती हैं। इसके अतिरिक्त, इस अवधि में प्रायः शेयर बाज़ार सकारात्मक रहता है और सोना-चाँदी की बढ़ती माँग उनके मूल्य में वृद्धि करती है। कंपनियाँ आभूषणों पर भी छूट देती हैं। अतः दिवाली से पूर्व किया गया निवेश अच्छे प्रतिफल ला सकता है।
ऐसी स्थिति में, आज आपका पैसा कॉलम में हम जानेंगे—
-
सोना या शेयर—त्यौहारों के समय कौन-सा निवेश अधिक उपयुक्त है?
-
उत्सव के बाद लाभ कमाने हेतु क्या बेचना चाहिए?
प्रश्न: त्यौहारों के समय निवेश करना क्या लाभकारी है?
उत्तर: उचित विधि और सही स्थान पर किया गया निवेश कभी भी हानिकारक नहीं होता। साथ ही, त्यौहारों के अवसर पर अनेक निवेश कंपनियाँ आकर्षक ऑफ़र देती हैं। इनका लाभ उठाकर आप अपनी आवश्यकता अनुसार निवेश कर सकते हैं।
प्रश्न: इस त्यौहार के समय कहाँ निवेश करना उचित होगा?
उत्तर: त्यौहार केवल खर्च और खरीदारी का समय नहीं, बल्कि निवेश का भी महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। दिवाली और धनतेरस जैसे अवसरों पर सोना और चाँदी खरीदना शुभ माना जाता है।
साथ ही, शेयर बाज़ार में निवेशक “मुहूर्त ट्रेडिंग” का लाभ लेने के लिए उत्साहित रहते हैं। अतः इस समय निवेश का चुनाव व्यक्ति की प्राथमिकताओं और आर्थिक लक्ष्यों पर निर्भर करता है। यदि आपको स्थिर और सुरक्षित विकल्प चाहिए, तो सोना उपयुक्त है; जबकि दीर्घकालिक अच्छे प्रतिफल हेतु शेयर बाज़ार श्रेष्ठ विकल्प हो सकता है।
प्रश्न: दिवाली से पहले सोने में निवेश करना क्या उचित है?
उत्तर: दिवाली से पूर्व सोने में निवेश करना भारतीय निवेशकों का पारंपरिक और प्रिय विकल्प रहा है। इस अवधि में सोने की माँग बढ़ने से उसके दामों में वृद्धि हो सकती है।
यदि आप सोना अल्पकालिक लाभ हेतु नहीं, बल्कि दीर्घकाल तक रखना चाहते हैं, तो दिवाली से पहले खरीदारी करना उचित निर्णय है। सोना महँगाई और आर्थिक अस्थिरता से बचाव प्रदान करता है। हालाँकि, इसमें कुछ मूल्य उतार-चढ़ाव होते हैं, इसलिए निवेशक को अपने समय और आवश्यकता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
प्रश्न: दिवाली से पूर्व सोने में निवेश करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर: दिवाली से पूर्व सोने में निवेश करने से अनेक लाभ मिल सकते हैं। भारत में विशेषकर धनतेरस और दिवाली पर सोना-चाँदी की माँग बढ़ती है। परिणामस्वरूप, इन धातुओं के दाम ऊँचे हो जाते हैं।
प्रश्न: त्यौहारों के समय बढ़ती माँग में सोने में निवेश करना क्या सही है?
उत्तर: त्यौहारों के समय सोने की माँग हमेशा बढ़ती है, जिससे उसके दाम भी बढ़ जाते हैं। लेकिन यह खरीदारी केवल निवेश हेतु नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
यदि आप सोना आभूषण के रूप में खरीदते हैं, तो शुद्धता और निर्माण शुल्क अवश्य ध्यान रखें। जबकि निवेश के दृष्टिकोण से डिजिटल गोल्ड, गोल्ड बॉन्ड अथवा ईटीएफ बेहतर विकल्प हैं, क्योंकि इनमें शुद्धता और भंडारण की समस्या नहीं होती। इस प्रकार, त्यौहारों के समय सोने की खरीद परंपरा और निवेश दोनों दृष्टियों से लाभकारी है।
प्रश्न: इस त्यौहार के समय सोना या शेयर—कौन-सा निवेश बेहतर है?
उत्तर: त्यौहारों में धातुओं की माँग अधिक होने से सोने की कीमतें प्रायः बढ़ जाती हैं। अतः यदि आप कुछ माह पहले निवेश करना चाहें, तो सोना उपयुक्त विकल्प हो सकता है।
वहीं, शेयर बाज़ार कई कारकों पर निर्भर करता है। निवेशक अक्सर सोने की बढ़ती माँग से लाभ उठाने हेतु शेयर बेचकर सोना खरीदते हैं। दूसरी ओर, त्यौहारों का सकारात्मक माहौल बाज़ार पर भी अनुकूल प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, निवेश का निर्णय अनेक परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
प्रश्न: त्यौहारों के बाद सोना और शेयर में निवेश करना उचित है या पुराना निवेश बेचना चाहिए?
उत्तर: यदि आपका लक्ष्य अल्पकालिक लाभ कमाना है और सोने के दाम ऊँचे हैं, तो आप बेच सकते हैं। किंतु यह आवश्यक नहीं है, क्योंकि भारत में विवाह-ऋतु के चलते सोना-चाँदी की माँग बनी रहती है, जिससे कीमतें और बढ़ सकती हैं।
दीर्घकाल हेतु सोना सुरक्षित रखना लाभदायक हो सकता है। वहीं, शेयर बाज़ार में अल्पकालिक निवेश हेतु सदैव ब्लू चिप फंड चुनना चाहिए, क्योंकि इनमें कम उतार-चढ़ाव और अपेक्षाकृत स्थिर प्रतिफल मिलता है।
अतः निवेश से पूर्व अपनी आवश्यकता, लक्ष्य और भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखकर ही निर्णय लें और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।