
वरिष्ठ संवाददाता – राम अनुज धर द्विवेदी
सब तक एक्सप्रेस
- राम, सीता और लक्ष्मण के वनगमन प्रसंग ने दर्शकों को भावुक किया
- कैकेयी के दो वरदान मांगने का दृश्य देखकर लोगों की आंखें नम हुईं
- रामलीला के छठे दिन वनगमन, निषादराज मैत्री और गंगा पार करने की लीला का हुआ मंचन
- दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी, जय श्रीराम के जयकारों से गूंजा पूरा प्रांगण
सोनभद्र। श्री रामलीला समिति सोनभद्र द्वारा आयोजित रामलीला के छठे दिन भगवान श्रीराम के वनगमन की लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर प्रयागराज से आए कलाकारों ने कैकेयी के वरदान मांगने, राजा दशरथ के विलाप, सीता-राम का वनगमन, लक्ष्मण का साथ निभाना, निषादराज मैत्री और गंगा पार करने जैसे प्रसंगों को जीवंत कर दिया।
लीला के प्रारंभिक दृश्य में दिखाया गया कि महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान मांग लिए — भरत को अयोध्या का राजतिलक और राम को 14 वर्षों का वनवास। यह प्रसंग देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गईं। जब राम वनवास जाने लगे, तो सीता और लक्ष्मण ने भी उनके साथ वन जाने का संकल्प लिया। मंच पर सीता का आग्रह और राम का मना करना भावुक कर गया।
इसके बाद का दृश्य निषादराज और श्रीराम की मित्रता का रहा। राम, सीता और लक्ष्मण के साथ निषादराज गंगा तट तक आए। गंगा पार करने से पहले गंगाजी की स्तुति और नाविक के मन में उठी शंकाओं को देखकर पूरा वातावरण भक्ति और करुणा से भर उठा। अंत में नाविक ने प्रभु श्रीराम को गंगा पार कराई।
दर्शक इन दृश्यों को देखकर भावविभोर हो उठे। जगह-जगह से “जय सियाराम” और “जय श्रीराम” के जयकारे गूंजते रहे।
समिति के संरक्षक जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीराम का वनगमन हमें त्याग, मर्यादा और कर्तव्य की सीख देता है। उन्होंने उपस्थित रामभक्तों से आह्वान किया कि हमें भी जीवन में श्रीराम के आदर्शों को अपनाना चाहिए।
इस अवसर पर समिति अध्यक्ष पवन कुमार जैन, राकेश गुप्ता, प्रमोद गुप्ता, आनंद मिश्रा, विजय कनोडिया, प्रशांत जैन, कीर्तन सिंह, संगम गुप्ता, मनोज जालान, मनीष खंडेलवाल, उमेश केसरी, चंदन केसरी, घनश्याम सिंघल, नरेंद्र गर्ग, विमल अग्रवाल, संतोष चौबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और रामलीला प्रेमी उपस्थित रहे।