दीपिका ने 8 घंटे की शिफ्ट पर बात की, इंडस्ट्री के डबल स्टैंडर्ड्स पर उठाए सवाल।

दीपिका पादुकोण, जो भारतीय फिल्म उद्योग की एक प्रमुख हस्ती हैं, ने हाल ही में कुछ अहम मुद्दों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उनके बयान ने न केवल बॉलीवुड में कार्य प्रक्रिया के प्रति ध्यान आकर्षित किया है बल्कि फिल्म उद्योग के डबल स्टैंडर्ड्स पर भी सवाल उठाए हैं।
### दीपिका का बयान
दीपिका ने अपनी आठ घंटे की शिफ्ट वाले बयान पर खुलकर बात की। उनका कहना है कि यह उनका तरीका नहीं है और न ही इससे वह पली-बढ़ी हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि काम के घंटे और कार्य की गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण होती है, न कि सिर्फ घंटे की संख्या।
### इंडस्ट्री के डबल स्टैंडर्ड्स
दीपिका ने यह भी बताया कि इंडस्ट्री में कई ऐसे डबल स्टैंडर्ड्स हैं जिनकी वजह से कई कलाकारों को अपनी प्राथमिकताओं और काम के तरीके के बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई सुपरस्टार्स को प्रोजेक्ट्स को सिर्फ इसलिए स्वीकार करना पड़ता है क्योंकि उन्हें बाहरी दबाव का सामना करना पड़ता है।
### शिफ्ट वर्किंग पर चर्चा
दीपिका ने ‘वर्किंग आवर्स डिबेट’ पर भी अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई सिर्फ उन लोगों की नहीं है जो शीर्ष स्थान पर हैं, बल्कि यह हर कलाकार के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हें उम्मीद है कि इस विषय पर खुलकर चर्चा होगी और बदलाव संभव होगा।
### स्पिरिट और कल्कि 2898 एडी
दीपिका ने अपनी फिल्में ‘स्पिरिट’ और ‘कल्कि 2898 एडी’ छोड़ने के फैसले पर भी बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनके लिए आसान निर्णय नहीं था और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे।
### एक कलाकार के रूप में चुनौतियाँ
इसके अलावा, दीपिका ने कहा कि एक कलाकार के रूप में कार्य करने में कई चुनौतियाँ होती हैं। कभी-कभी, निर्णय व्यक्तिगत होते हैं और यह सभी के लिए समझना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कलाकारों को अपने कार्य के प्रति ईमानदार रहना चाहिए और बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
### सोशल मीडिया प्रभाव
आखिरकार, उन्होंने सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी विचार किया। दीपिका का मानना है कि सोशल मीडिया ने कला को प्रभावित किया है, लेकिन यह जरूरी है कि कलाकार खुद को सही तरीके से पेश करें और अपनी आवाज़ को मजबूती से प्रस्तुत करें।
### निष्कर्ष
दीपिका पादुकोण का यह बयान न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों को दर्शाता है, बल्कि यह एक व्यापक विषय है जो फिल्म उद्योग के कमियों और सुधार की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है। उनकी आवाज़ की गूंज निश्चित रूप से उन सभी के लिए प्रेरणा बनेगी जो अपनी लड़ाइयों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।