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नहाय-खाय से आरंभ हुआ सूर्योपासना का महापर्व छठ

शुद्धता, अनुशासन और आत्मसंयम की साधना का पर्व

संवाददाता – सब तक एक्सप्रेस

लोकआस्था और श्रद्धा का प्रतीक छठ महापर्व आज नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। यह पर्व न केवल सूर्य उपासना का उत्सव है, बल्कि शुद्धता, अनुशासन और आत्मसंयम की अनुपम साधना भी है। बिहार सहित पूरे उत्तर भारत में आज के दिन से श्रद्धालुओं के घरों में छठ की भक्ति की गूंज सुनाई देने लगी है।

इस पावन अवसर पर व्रती महिलाएं और पुरुष प्रातःकाल पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान कर शुद्धता का संकल्प लेते हैं। स्नान के बाद घरों की सफाई, पवित्र भोजन की तैयारी और सात्विकता का पालन इस दिन की विशेष पहचान है।

🌞 प्रकृति और श्रद्धा का संगम

बिहार की लोकसंस्कृति ने छठ पर्व में वह गहराई रची है, जहाँ प्रकृति और श्रद्धा एक सूत्र में बंधे हैं। सूर्य देव और छठी मइया की आराधना के माध्यम से जल, वायु, अग्नि और धरती के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। यह पर्व मानव और प्रकृति के बीच गहरे संबंध की याद दिलाता है।

🙏 नहाय-खाय की पावन बेला

‘नहाय-खाय’ से छठ पर्व का शुभारंभ होता है। इस दिन व्रती अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू (लौकी) की सब्जी सेंधा नमक में बिना प्याज-लहसुन के बनाकर ग्रहण करते हैं। यही सात्विक भोजन आगे आने वाले कठिन उपवास की तैयारी का पहला चरण माना जाता है।

🌅 भक्ति और आस्था का संदेश

छठ महापर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मसंयम, स्वच्छता, समर्पण और समाज में एकता का संदेश देता है। घाटों पर सजावट, साफ-सफाई और छठी मइया के गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा है।

नहाय-खाय की इस पावन बेला पर ‘सब तक एक्सप्रेस’ परिवार यह कामना करता है कि छठी मइया सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।

— ✍️ संवाददाता, सब तक एक्सप्रेस

 

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