
वरिष्ठ संवाददाता राम अनुज धर द्विवेदी, सब तक एक्सप्रेस
सोनभद्र। कार्तिक मास की शुक्ल नवमी तिथि पर मनाया जाने वाला अक्षय नवमी पर्व जनपद सोनभद्र में श्रद्धा, उल्लास और आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना की।
जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज स्थित दंडईत बाबा मंदिर परिसर में महिलाओं ने पारंपरिक रीति से आंवला वृक्ष की पूजा की, कथा सुनी और पेड़ के नीचे प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण किया। मंदिर परिसर में इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और पूरा वातावरण भक्ति और उत्सव के रंग में रंग गया।
साहित्यकार प्रतिभा देवी ने बताया कि लोक मान्यता के अनुसार आंवला नवमी की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। उन्होंने आंवले के वृक्ष को भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतीक मानते हुए उसकी पूजा की थी। तभी से इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे भोजन करने की परंपरा चली आ रही है।
कार्तिक मास में अष्टमी को गोपाष्टमी और नवमी को आंवला नवमी कहा जाता है। गोपाष्टमी के दिन गौ, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है, जबकि आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
इस अवसर पर जनपद के मंदिरों, धार्मिक स्थलों और गांवों में महिलाओं ने विधि-विधानपूर्वक पूजन कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा और भजन-कीर्तन किए।
दंडईत बाबा मंदिर परिसर में हुए पूजन कार्यक्रम में प्रतिभा केसरवानी, शारदा केसरी, वंदना, सुनीता केसरी, पूजा केसरी, सीता केसरी, पूनम, आशा सहित अनेक श्रद्धालु महिलाएं उपस्थित रहीं।



