मॉस्को की कूटनीतिक ठंड में जयशंकर–लावरोव की मुलाकात, राजनीतिक सहयोग की गर्माहट से भर देगी नई ऊर्जा

मॉस्को की ठिठुरती हवाओं के बीच इस बार कूटनीति की एक नई गर्माहट फैलने वाली है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, शांति और रणनीति की गठरी लिए रूस की धरती पर कदम रखने जा रहे हैं। उनके स्वागत में बिछे लाल कालीन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होगा वह संवाद, जो भारत और रूस की वर्षों पुरानी मित्रता को फिर से नई ऊर्जा देगा।
प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने बताया कि जयशंकर एससीओ की राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक के सिलसिले में मॉस्को पहुंचेंगे, लेकिन उनके कार्यक्रम का सबसे अहम पड़ाव वह मुलाकात है जिसमें वे रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बैठकर भविष्य की राह तय करेंगे।
यह मुलाकात सिर्फ राजनयिक औपचारिकता भर नहीं होगी, बल्कि दो पुराने मित्र देशों का ऐसा संवाद होगा जो भविष्य के सहयोग की रूपरेखा में नए रंग भरेगा। जब दोनों नेता साथ बैठेंगे, तो वे द्विपक्षीय संबंधों के उन अध्यायों को पलटेंगे जिनमें वर्षों की मित्रता, भरोसा और बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्यों का अनुभव सुरक्षित है।
उनकी बातचीत में राजनीतिक सहयोग की दिशा, आर्थिक समीकरणों की मजबूती, ऊर्जा भागीदारी की निरंतरता और सुरक्षा संबंधों का संतुलन मुख्य बिंदु होंगे। इसके साथ ही वैश्विक मंचों—एससीओ, ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र और जी-20—पर बढ़ती चुनौतियों के बीच दोनों देशों का साझा दृष्टिकोण भी गहराई से समझा जाएगा।
यह मुलाकात उन उम्मीदों का संगम भी होगी जो भारत और रूस की दोस्ती से जुड़ी हुई हैं। मॉस्को की बर्फ़ीली हवा में यह संवाद शायद भविष्य के सहयोग की एक नई धूप बनकर उभरेगा।



