भारत-रूस की रणनीतिक दोस्ती को नई ऊंचाई देने की तैयारी

महत्वपूर्ण कूटनीतिक मुलाकात
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव निकोल पेत्रुशेव का स्वागत किया। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है, जब दुनिया में भू-राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं और भारत-रूस संबंधों को एक नई दिशा देने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
पुतिन की उच्चस्तरीय भारत यात्रा
बैठक का मुख्य उद्देश्य था रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा की तैयारियां। माना जा रहा है कि पुतिन दिसंबर के शुरुआती सप्ताह में भारत की यात्रा पर आएंगे, जहां वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्षिक शिखर वार्ता करेंगे। इस वार्ता में महत्वपूर्ण राजनीति, रक्षा, ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
वार्ता से जुड़ी प्रमुख संभावनाएं
विशेषज्ञ कहते हैं कि इस बार होने वाली वार्ताओं से घरेलू विनिर्माण, रक्षा सौदों, ऊर्जा निवेश और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़े समझौते हो सकते हैं। भारत रूस से तेल और सैन्य उपकरणों का प्रमुख आयातक है, जबकि रूस भारतीय बाजार और तकनीकी विशेषज्ञता में रुचि दिखा रहा है।
समुद्री सहयोग की नई पहल
निकोल समुद्री बोर्ड के अध्यक्ष होने के चलते यह बैठक विशेष रूप से समुद्री सहयोग पर केंद्रित रही। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, ब्लू इकोनॉमी, समुद्री व्यापार मार्ग और बंदरगाह विकास जैसे क्षेत्रों में भारत सहयोग को मजबूत करना चाहता है।
जहाज निर्माण और कौशल विकास पर फोकस
भारत और रूस मिलकर जहाज निर्माण, तकनीक साझा करने और कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। भारत ने प्रस्ताव रखा कि रूस की आधुनिक तकनीक का उपयोग देश में नई उत्पादन इकाइयों के विकास में किया जाए।
अजीत डोभाल के साथ उच्चस्तरीय वार्ता
एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और निकोल पेत्रुशेव के बीच हुई बैठक में भारत-रूस सुरक्षा सहयोग, रक्षा अनुबंध, एंटी-टेररिज्म साझेदारी और राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
पुतिन के लिए विशेष संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने निकोल के माध्यम से राष्ट्रपति पुतिन को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि भारत उन्हें सम्मानपूर्वक स्वागत करने के लिए तैयार है।
भारत-रूस संबंध क्यों हैं खास?
भारत और रूस ने पिछले सात दशकों में कई ऐतिहासिक रक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान और ऊर्जा समझौते किए हैं। ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर एस-400 सिस्टम तक, कई महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाओं में दोनों देशों की साझेदारी दुनिया भर में चर्चा का विषय रही है।
भविष्य की बड़ी उम्मीदें
आगामी शिखर सम्मेलन से दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नए युग की शुरुआत होने की उम्मीद है। यह सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि दो देशों की गहरी साझेदारी को नई दिशा देने का अवसर होगा।



