राजस्थान की सीमेंट फैक्ट्री में हादसा, यूपी के तीन मजदूरों की मौत

उद्योग में सुरक्षा पर बड़ा सवाल
अंबुजा सीमेंट फैक्ट्री में दर्दनाक हादसा
राजस्थान के ब्यावर जिले में स्थित अंबुजा सीमेंट फैक्ट्री में शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने औद्योगिक सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया। फैक्ट्री में काम कर रहे तीन मजदूरों पर 1100 डिग्री सेल्सियस पर उबलता हुआ पदार्थ अचानक गिर गया। अत्यधिक तापमान के कारण तीनों मजदूर बुरी तरह झुलस गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
उत्तरप्रदेश से आए थे मजदूर
मृतक मजदूरों की पहचान अजय कुमार, पप्पू कुमार और गोविंद के रूप में हुई है। तीनों मजदूर उत्तरप्रदेश के मीरजापुर जिले के चुनार क्षेत्र के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि इनमें से दो मजदूर पहले ही दिन काम पर आए थे और उसी दिन इस हादसे का शिकार हो गए।
मौके की भयावह तस्वीर
रास थाना अधिकारी रोहिताश ने बताया कि हादसा इतना गंभीर था कि मजदूरों के शरीर पर 90 फीसदी तक जलन हो गई थी। फैक्ट्री के भीतर बायलर फटने से उबलता हुआ पदार्थ सीधे उन पर आ गिरा। फैक्ट्री में उस समय बड़ी संख्या में मजदूर मौजूद थे, जिससे वहां अफरातफरी का माहौल बन गया।
अस्पताल में मृत घोषित
घटना के तुरंत बाद झुलसे हुए श्रमिकों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने प्राथमिक परीक्षण के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। शवों को फैक्ट्री प्रबंधन और पुलिस की निगरानी में मोर्चरी में रखवाया गया है।
परिवारों में कोहराम
हादसे की सूचना जैसे ही मीरजापुर के चुनार इलाके में पहुंची, परिवारों में कोहराम मच गया। मृतकों की उम्र 21 से 25 वर्ष के बीच बताई जा रही है, जो अभी जीवन की शुरुआत ही कर रहे थे। परिजनों ने फैक्ट्री प्रबंधन पर सुरक्षा की अनदेखी का आरोप लगाया है।
सुरक्षा मानकों पर फिर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर उद्योगों में सुरक्षा प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े किए हैं। मजदूर संगठनों का कहना है कि फैक्ट्रियों में सुरक्षा उपकरणों की भारी कमी है। यदि समय रहते सुरक्षा जैकेट, तापरोधी हेलमेट और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता, तो शायद मजदूरों की जान बचाई जा सकती थी।
प्रशासनिक जांच शुरू
पुलिस ने फैक्ट्री प्रशासन से पूछताछ शुरू कर दी है। संबंधित विभागों द्वारा एक टीम गठित की गई है जो यह पता लगाएगी कि हादसा लापरवाही से हुआ या तकनीकी खराबी से।
अंत में
तीन युवा मजदूरों की मौत ने न केवल तीन परिवारों को उजाड़ा बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं?



