दौसा में कंबल ओढ़े दो महिलाएं पानी की टंकी पर चढ़ीं, मामला सामने आते ही प्रशासन हरकत में आया।

सुबह का सन्नाटा और टंकी पर बैठी दो परछाइयाँ
1 दिसंबर की ठंडी सुबह थी। गढ़ सिंकदरा गांव नींद से अभी जाग ही रहा था कि गांव की पानी की टंकी पर दो कंबल ओढ़ी परछाइयाँ नजर आईं। पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब साफ पता चला कि ये परछाइयाँ दो युवतियां हैं, पूरा गांव दहल उठा।
दर्द की कहानी
ये दोनों बहनें थीं, जिनके परिवार की पुश्तैनी जमीन पर कब्जा होने का आरोप था। महीनों से चक्कर काटते-काटते थक चुकी युवतियों ने आखिर प्रशासन को जगाने के लिए टंकी पर चढ़ने जैसा खतरनाक कदम उठा लिया।
गांव की हलचल
कुछ ही देर में भीड़ उमड़ पड़ी। पुलिस, पटवारी, तहसीलदार—हर कोई मौके पर पहुंचा। लेकिन युवतियां एक ही बात पर अड़ी थीं—“जब तक हमारी सुनवाई नहीं होगी, हम नीचे नहीं उतरेंगे।”
फिल्मी अंदाज़ का विरोध
गांव वालों ने इसे फिल्म ‘शोले’ के दृश्य से जोड़कर देखा। फर्क बस इतना था कि यहां कोई प्रेम कहानी नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई थी।
लंबी बातचीत के बाद समाधान की शुरुआत
युवतियों को समझाने में घंटों बीत गए। आखिर अधिकारी लिखित आश्वासन देने पर राजी हुए। तभी युवतियां नीचे आईं। गांव ने राहत की सांस ली, पर सवाल यही बना रहा कि कोई अपनी आवाज सुनाने के लिए इतना बड़ा कदम क्यों उठाने पर मजबूर होता है।



