“झुक जइयों तनिक रघुवीर…” भजनों पर झूमे श्रद्धालु
कमता में एकादश श्रीमद् भागवत कथा में उमड़ा भक्तिरस

सब तक एक्सप्रेस।
👉 सच्ची शक्ति अहंकार में नहीं, धर्म और विनम्रता में होती है : महंत विनोदानंद शास्त्री
लखनऊ। राजधानी के कमता स्थित शंकरपुरी कॉलोनी में आयोजित एकादश श्रीमद् भागवत कथा, कमता महोत्सव, 21 कुंडीय ज्ञान यज्ञ एवं भंडारे का आयोजन पूरे भक्तिभाव और उल्लास के साथ जारी है। यह महा अनुष्ठान 25 दिसंबर तक चलेगा। शुक्रवार 19 दिसंबर को कथा में श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला।
महंत पंडित विनोदानंद शास्त्री जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि “सच्ची शक्ति अहंकार में नहीं, बल्कि धर्म, विनम्रता और सद्गुणों में होती है।” उन्होंने सीता स्वयंवर और राम वन गमन के प्रसंग को विस्तार से सुनाते हुए भक्तों को जीवन के उच्च आदर्शों से जोड़ने का संदेश दिया।
आचार्य देवकीनंदन मिश्रा के संयोजन में हो रहे इस 11वें वार्षिक महा अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा के दौरान “झुक जइयों तनिक रघुवीर लली मेरी छोटी सी” और “देख कर रामजी को जनक नंदिनी” जैसे भावपूर्ण भजनों ने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। बच्चों से लेकर वरिष्ठ श्रद्धालु तक भजनों पर झूमते नजर आए।
कथा का शुभारंभ मंत्रोच्चार से हुआ, जिसके पश्चात आवाहन, षोडशोपचार पूजन, आरती एवं भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। महंत विनोदानंद शास्त्री महाराज ने सीता स्वयंवर को धर्म की स्थापना का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह प्रसंग राम-सीता के दैवीय और पवित्र मिलन का प्रतीक है, जो जीवन में अहंकार त्याग कर मर्यादा और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
राम वन गमन के प्रसंग पर कथा पंडाल भावविभोर हो उठा। महाराज ने कहा कि यह घटना कर्तव्यनिष्ठा, वचनबद्धता, त्याग और संघर्ष का संदेश देती है तथा भगवान राम को आदर्श पुत्र, आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में स्थापित करती है।
यह कथा प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक आयोजित की जा रही है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेकर आध्यात्मिक आनंद प्राप्त कर रहे हैं।
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