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तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार बनाने पर लगेगी मुहर?, तेज प्रताप ने कर दिया खेला

पटना। छह वर्षों में यह दूसरा मौका है, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में आयोजित हो रही है। शनिवार को आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव करेंगे। बैठक का मुख्य एजेंडा सांगठनिक चुनाव की तिथियों का निर्धारण और आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करना है। साथ ही, तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने पर भी चर्चा होगी।

बैठक से पहले तेज प्रताप का पोस्ट चर्चा में
राजद की इस अहम बैठक से पहले पार्टी नेता तेज प्रताप यादव का सोशल मीडिया पोस्ट सुर्खियों में है। पोस्ट में तेज प्रताप ने नेतृत्व और परिवर्तन को लेकर विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने लिखा, “नेतृत्व कोई पद या उपाधि नहीं है, यह कार्य और उदाहरण है। अधिक सपने देखें, अधिक सीखें, अधिक करें, और अधिक बनें।”

इस पोस्ट के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि तेज प्रताप अपनी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर संकेत दे रहे हैं। तेजस्वी यादव और तेज प्रताप के बीच मतभेद की खबरें पहले भी सामने आ चुकी हैं, और इस पोस्ट ने इसे फिर से हवा दे दी है।

बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

सांगठनिक चुनाव: पार्टी के सांगठनिक चुनाव की तिथियों का निर्धारण। संभावना है कि यह चुनाव जून तक संपन्न होंगे।
राजनीतिक और सामाजिक प्रस्ताव: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीति, आरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया जाएगा।
चुनाव रणनीति: विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश करने पर मुहर लगने की संभावना।
पार्टी संगठन की मजबूती: पंचायत, प्रखंड, जिला और प्रदेश स्तर की टीम की घोषणा और 22 राज्यों में पार्टी संगठन को सशक्त बनाने की योजना।
300 से ज्यादा नेता होंगे शामिल
इस बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रदेश अध्यक्ष, स्थायी आमंत्रित सदस्य, सांसद, विधायक और अन्य प्रमुख नेता सहित 300 से अधिक लोग शामिल हो रहे हैं। लालू यादव और तेजस्वी यादव का संबोधन बैठक के मुख्य आकर्षण होंगे।

मीसा भारती का बयान और लालू यादव की बढ़ी चुनौतियां
राजद सांसद मीसा भारती ने बैठक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह पार्टी के भविष्य के लिए अहम फैसले लेने का अवसर है। साथ ही, लालू यादव के सामने पार्टी के अंदर जारी मतभेद और आगामी चुनावी चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी है।

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