
जनपद सोनभद्र के एक समर्पित पर्यावरण प्रेमी संदीप मिश्रा ने प्रकृति संरक्षण को अपनी जीवन-शैली बना लिया है। उनके द्वारा चलाया जा रहा अभियान “पेड़ है तो प्राण है” केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक हरित जनआंदोलन बन चुका है, जो दिन-ब-दिन जनमानस को जोड़ रहा है।
इस अभियान की शुरुआत एक छोटे से संकल्प के साथ हुई — हर दिन पौधा लगाना और उसे संरक्षित करना। धीरे-धीरे इस कार्य में बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों से लेकर सामाजिक संगठनों तक की भागीदारी बढ़ती चली गई और यह मुहिम एक सामूहिक चेतना का रूप लेने लगी।
संदीप मिश्रा का मानना है —
“अगर आज हम पेड़ नहीं बचाएंगे, तो कल हमारी साँसें खतरे में होंगी। पेड़ केवल ऑक्सीजन का स्रोत नहीं, हमारे अस्तित्व का आधार हैं। मैं चाहता हूँ कि हर युवा इस जिम्मेदारी को समझे और अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ को बचाने या लगाने का संकल्प ले। यही सच्ची राष्ट्रसेवा है।”
उनकी इस पहल से जुड़ने वाले युवाओं में जबरदस्त उत्साह है। स्कूलों, कॉलेजों, गाँवों और नगरों में पर्यावरणीय जागरूकता रैली, पौधरोपण कार्यक्रम, और संरक्षण शपथ समारोह जैसे आयोजन लगातार किए जा रहे हैं।
आज “पेड़ है तो प्राण है” आंदोलन एक हरित प्रेरणा स्रोत बन चुका है — जो न केवल वृक्षारोपण करता है, बल्कि लोगों के मन में प्रकृति के प्रति संवेदना और जिम्मेदारी भी जगाता है।