तुलसीदास व प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर कविगोष्ठी में गूंजीं सामाजिक सरोकारों की कविताएं
“आपस में नफरत, आपस में तकरार – मानव के जीवन की सबसे बड़ी हार”

सोनभद्र | सब तक एक्सप्रेस संवाददाता
तुलसीदास और प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार में बुधवार को एक भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र एवं सोनभद्र बार एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षक एवं साहित्यकार, राष्ट्रपति पदक विजेता ओमप्रकाश त्रिपाठी ने की, जबकि मुख्य अतिथि उपन्यासकार व समीक्षक रामनाथ शिवेन्द्र रहे। कार्यक्रम की शुरुआत कवि ईश्वर विरागी की वाणी वंदना से हुई। वाग्देवी व महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
कविता पाठ में उठी सामाजिक, राष्ट्रीय और मानवीय सरोकारों की आवाजें
कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान की पंक्तियां –
“आपस में नफरत, आपस में तकरार,
मानव के जीवन की है सबसे बड़ी हार”
– ने सभागार को भावुक कर दिया और खूब तालियां बटोरीं।
प्रदुम्न त्रिपाठी ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता में कहा –
“पड़े जरूरत जब भी वतन को,
कफ़न बांध हम आएंगे।”
विकास वर्मा ने मजहबी सौहार्द्र पर चोट करते हुए कहा –
“मजहब को अपने घर में ही महदूद कीजिए।”
दयानंद दयालू की लोकभाषा में रचना “उजड़ल जाता बाग-बगैचा…” ने ग्रामीण संवेदना को छू लिया। दिलीप सिंह दीपक, दिवाकर मेघ, अजय चतुर्वेदी कक्का, अशोक तिवारी जैसे कवियों ने हास्य, व्यंग्य, और जीवन के गूढ़ संदर्भों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
ओज, श्रृंगार और शहादत का मिला संगम
ओजस्वी कवि प्रभात सिंह चंदेल की कविताओं में देश के हालातों पर चिंता दिखाई दी, वहीं शायर अब्दुल हई ने कहा –
“सच बोल दिये तो कितनों के चेहरे उतर गये…”
– जिसे सुनकर पूरा सभागार गूंज उठा।
राकेश शरण मिश्र ने सोनभद्र की महिमा का गुणगान किया और सुधाकर स्वदेश प्रेम ने देश के लिए शहादत को समर्पित रचना से भाव-विभोर कर दिया।
महापुरुषों पर वक्ताओं का विमर्श
मुख्य अतिथि रामनाथ शिवेन्द्र ने प्रेमचंद को “मजलूमों के दर्द का दस्तावेज़” बताते हुए तुलसीदास को लोकमंगल का साधक कहा।
अध्यक्षीय भाषण में ओमप्रकाश त्रिपाठी ने तुलसीदास को मानव कल्याण के लिए अवतरित संत और प्रेमचंद को सामाजिक विषमता पर प्रहार करने वाला यथार्थवादी चिंतक बताया।
गीत-संगीत और श्रृंगार का रंगारंग संगम
सोन संगीत फाउंडेशन के सुशील मिश्रा ने “देशवा हमार शहीद के सपनवा…” गीत प्रस्तुत कर माहौल को राष्ट्रभक्ति से भर दिया। कवयित्री दिव्या राय ने श्रृंगार और पावस को समर्पित मधुर रचना सुनाकर मन मोह लिया।
अतिथियों का सम्मान और गरिमामय उपस्थिति
अंत में अतिथियों को अंगवस्त्र, लेखनी एवं पुस्तकें भेंटकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में बार अध्यक्ष अरुण मिश्र एडवोकेट, महामंत्री अखिलेश कुमार पांडेय, पूर्व अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार पाठक एड., चंद्र प्रकाश द्विवेदी एड., जयशंकर त्रिपाठी एड., राकेश दूबे एड., देवानंद पांडेय एड., आत्म प्रकाश तिवारी एड., ठाकुर पुरुषोत्तम, ऋषभ त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में साहित्य-प्रेमी अधिवक्ता मौजूद रहे।
यह आयोजन न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक चेतना, राष्ट्रीय भावना और मानवीय मूल्यों को भी पुष्ट करता दिखा।
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