पूर्व विधायक प्रभु नारायण यादव को कोर्ट से बड़ी राहत, झूठे मुकदमे में मिली क्लीन चिट

सब तक एक्सप्रेस | वाराणसी | संवाददाता – साक्षी सेठ
चंदौली जिला न्यायालय ने एक अहम फैसले में पूर्व विधायक प्रभु नारायण यादव और उनके भाई अनिल यादव को आईपीसी की धारा 341 और 352 के तहत दर्ज मुकदमे से दोषमुक्त कर दिया है। अदालत ने इसे राजनीतिक द्वेष से प्रेरित मामला मानते हुए अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को अविश्वसनीय और संदेहास्पद बताया।
❝ अदालत ने कहा – यह मुकदमा गढ़ा गया था ❞
फौजदारी अपील संख्या 30/2023 पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रस्तुत गवाह सभी शिकायतकर्ता के करीबी थे और किसी भी स्वतंत्र गवाह की मौजूदगी नहीं थी।
कोई भी वाहन नंबर या ठोस सबूत पेश नहीं किए जा सके। घटनास्थल पर बल्ब की रोशनी में पहचान को भी कोर्ट ने कल्पना पर आधारित माना।
चोट या मारपीट की पुष्टि करने वाली कोई मेडिकल रिपोर्ट भी मौजूद नहीं थी।
पूर्व विधायक ने किया बड़ा खुलासा
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रभु नारायण यादव ने कहा कि 1986 में एक हाई-प्रोफाइल हत्या कांड में बृजेश सिंह के खिलाफ गवाही देने के कारण उन्हें यह झूठा मुकदमा झेलना पड़ा। उन्होंने बताया कि –
🔹 एफआईआर घटना के 21 घंटे बाद दर्ज हुई, जबकि पुलिस को सूचना तत्काल दी गई थी।
🔹 यह मुकदमा गवाही को रोकने और राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास था।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
“निचली अदालत ने विवेक का प्रयोग नहीं किया। अपीलीय न्यायालय ऐसा निर्णय स्वीकार नहीं कर सकता। न्याय की बुनियाद निष्पक्ष विवेचना है, जो इस मामले में नहीं हुई।”
पूर्व विधायक की मीडिया से अपील
प्रभु नारायण यादव ने कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते दर्ज झूठे मुकदमे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं। इस फैसले से सत्य और संविधान की जीत हुई है।
उन्होंने न्यायपालिका का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस फैसले से आम जन में न्यायपालिका पर भरोसा और मजबूत हुआ है।