रक्षाबंधन को “पेड़ हैं तो प्राण हैं” अभियान से जोड़कर संदीप मिश्रा ने दिया पर्यावरण संरक्षण का भावनात्मक संदेश

सब तक एक्सप्रेस विशेष रिपोर्ट
राबर्ट्सगंज | विधानसभा 401 | 7 अगस्त 2025
“पेड़ हैं तो प्राण हैं” — इस मूल भावना को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा पर्यावरणीय जन-जागरण अभियान अब एक भावनात्मक सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुका है। अभियान के संयोजक संदीप मिश्रा ने इस रक्षाबंधन को प्रकृति रक्षा के साथ जोड़ते हुए समाज को एक नई सोच और दिशा दी है।
संदीप मिश्रा ने रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहनों से भावुक अपील की कि वे इस बार भाइयों को सिर्फ राखी नहीं, बल्कि एक पौधा भी उपहार में दें, ताकि भाई उस पौधे की उसी तरह रक्षा करे जैसे वह अपनी बहन की करता है। यह भावनात्मक पहल समाज में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
“हर साल बहनें भाइयों से रक्षा का वचन मांगती हैं। इस बार हम चाहते हैं कि बहनें एक पौधा देकर भाइयों से यह संकल्प लें कि वे उस पौधे को अपनी बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक मानकर उसकी रक्षा करें।”
— संदीप मिश्रा, संयोजक, पेड़ हैं तो प्राण हैं अभियान
🌿 वृक्ष और रक्षा सूत्र का सुंदर समागम: विरधी इंटर कॉलेज में विशेष आयोजन
इसी क्रम में गुरुवार को चतरा ब्लॉक के विरधी गांव स्थित श्रीनाथ पारसनाथ इंटर कॉलेज में एक प्रेरणादायक आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विद्यालय की छात्राओं ने संदीप मिश्रा को राखी बांधकर पौधे भेंट किए और यह संदेश दिया कि “पेड़ हैं तो प्राण हैं” का अभियान रुकना नहीं चाहिए।
कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री सचिन सिंह पटेल एवं शिक्षकगण के साथ छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर सैकड़ों पौधों का वितरण भी किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं के अलावा अनेक ग्रामवासी और शिक्षक सम्मिलित हुए।
🌱 उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व:
- सचिन सिंह पटेल (प्रधानाचार्य)
- आकाश चौहान, सत्रुधन बिंद, विजय चौहान, धीरज कनौजिया
- राजलक्ष्मी, सबिना, प्रिया, संध्या
- लोकेश उपाध्याय, शशांक पांडेय, छोटू चौबे सहित अन्य सहयोगियों ने भी पौध वितरण में योगदान दिया।
इस अभियान ने रक्षाबंधन जैसे सांस्कृतिक पर्व को प्रकृति संरक्षण से जोड़ते हुए एक नई सामाजिक चेतना को जन्म दिया है। लोग इसे केवल एक वृक्षारोपण अभियान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और भविष्यद्रष्टा पहल के रूप में देख रहे हैं।
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