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आउटसोर्सिंग कर्मियों के लिए आयोग गठित, कर्मचारी परिषद ने किया स्वागत

सब तक एक्सप्रेस 

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए आयोग गठित करने का निर्णय लिया है। इस फैसले का राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने स्वागत किया है। परिषद का कहना है कि लंबे समय से यह मांग उठाई जा रही थी कि आउटसोर्सिंग कंपनियां कर्मचारियों का शोषण करती हैं—उन्हें 11 माह बाद पुनः भर्ती के नाम पर परेशान किया जाता है, समय से वेतन नहीं मिलता और न ही ईपीएफ का पैसा नियमित कटता है।

परिषद ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से कई समस्याओं का निदान होगा। हालांकि उन्होंने यह भी आशंका जताई कि कहीं नियमित प्रकृति के पदों पर भी आउटसोर्सिंग लागू न हो जाए। परिषद के अनुसार, आउटसोर्सिंग कर्मचारी हमेशा नौकरी खोने के भय में रहते हैं, जिससे वे जिम्मेदारी और गोपनीयता से जुड़े कार्यों को उतनी गंभीरता से नहीं निभा पाते।

बैठकों में परिषद ने यह भी सुझाव दिया कि तीन-चार साल की सेवा के बाद ऐसे कर्मचारियों को सीधी भर्ती में अंक दिए जाएं और दस साल की सेवा के बाद उन्हें नियमित नियुक्ति की ओर बढ़ाया जाए। अन्यथा वर्षों तक सेवा देने के बाद बाहर कर देना उनकी स्थिति और भी दयनीय बना देगा।

यह संयुक्त बयान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी, महामंत्री शिव बरन सिंह यादव, कार्यवाहक अध्यक्ष एन.डी. द्विवेदी और कार्यवाहक महामंत्री डॉ. नरेश द्वारा जारी किया गया।


 

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